रायपुर में संक्रमण का खतरा : उद्योगों में चोरी-छिपे लाए जाए जा रहे मजदूर, नहीं किया जा रहा क्वॉरेंटाइन
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे औद्योगिक क्षेत्र में लाॅकडाउन के बाद भी कई उद्योगों में चोरी-छिपे दूसरे राज्य के मजदूरों को काम करवाने लाने का सिलसिला जारी है। सबसे बड़ी बात बाहर से लाये जा रहे मजदूरों को क्वॉरेंटाइन भी नहीं किया जा रहा है। बता दें कि सिलतरा इलाके में एक बड़ा औघोगिक क्षेत्र है। ऐसे में लाॅकडाउन से पहले इन उद्योगों में दूसरे राज्यों के मजदूर यहां काम करने आते थे। लाॅकडाउन की अवधि में ऐसे लगभग हजारों मजदूर अपने राज्य वापस चले गए थे, लेकिन अनलॉक 2.0 में फिर से उद्योग शुरू हो गए हैं और प्रवासी मजदूरों को लौटना भी शुरू हो गया है।
लेकिन सरकार के नियमों को ताक पर रात के अंधेरे में यहां कई छोटी-बड़ी गाड़ियों में मजदूरों को जानवरों की तरह ठूंसकर सीधे प्लांट के अंदर लाकर छोड़ा जा रहा है। ऐसा नहीं कि लोगों की इसकी जानकारी नहीं है। सूचना होने के बाद भी लोगों को कोरोना के खतरे के बीच काम करना पड़ रहा है। मजदूरों का कहना है कि इसका विरोध करने या बाहर से आए मजदूरों के साथ काम नहीं करने की बात पर ठेकेदार सहित मैनेजर भी काम से निकालने की धमकी दे रहे हैं।
जिन उद्योगों में मजदूर लाए जा रहे हैं वहां काम करने वाले दूसरे मजदूरों के बीच संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। वहीं मजदूर भी अपनी रोजी-रोटी और नौकरी बचाने के लिए विरोध करने के बजाय साथ काम कर रहे हैं।
सरकार के नियम के अनुसार बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति को तो सबसे पहले 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन हो ना जरूरी है। इसके लिए प्लांट को पूरी व्यवस्था करके मजदूरों को 14 दिन क्वॉरेंटाइन रखने के बाद काम पर रखना चाहिए। लेकिन इन मजदूरों के लिए ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं है, इतना ही नहीं यह सभी मजदूर काम पूरा होने के बाद राशन या सब्जी लेने बाजार जा रहे है।