CG : नक्सलियों के गढ़ से तीन छात्रों ने क्रैक किया NEET, एक की मां ने मजदूरी कर करवाई पढ़ाई….
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के तीन छात्रों ने NEET परीक्षा पास कर सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाया है। सुकमा, जो अपने दुर्गम इलाकों के लिए जाना जाता है, शिक्षा के क्षेत्र में कई चुनौतियां पेश करता है। इन छात्रों ने कठिनाइयों का सामना करते हुए, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ अपने सपनों को पूरा किया है।
आकाश कुमार पोड़ियामी को बिलासपुर के छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सीट मिली है। गुलशन मोड़ियाम जगदलपुर के स्वर्गीय बलिराम कश्यप मेमोरियल गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में पढ़ेंगे और सिल्की नेताम का दाखिला दुर्ग के चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में हुआ है।
वहीं, आकाश कुमार पोड़ियामी, जो माओवाद प्रभावित क्षेत्र कोन्ता ब्लॉक के धमन गांव से आते हैं। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। गरीबी और कम उम्र में पिता के साए से वंचित आकाश का बचपन नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बीता, जहां शिक्षा तक पहुंच सीमित थी। उनकी मां हिड़मे परिवार की रीढ़ बनीं और मजदूरी और वन उत्पाद बेचकर अपने बच्चों को स्कूल भेजा।
रायपुर के प्रयास आवासीय विधालय में रहकर पढ़ाई की
इन सबके बावजूद, आकाश की सीखने की ललक कम नहीं हुई। पोर्टा केबिन टोंगपाल से प्राथमिक शिक्षा और पकेला पोर्टा केबिन से माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने रायपुर के प्रयास आवासीय विद्यालय में दाखिला लिया जहां उन्होंने जीव विज्ञान में बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण की।
NEET परीक्षा में आकाश का पहला प्रयास असफल रहा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सुकमा जिला प्रशासन द्वारा संचालित सक्षम NEET कोचिंग में अपनी तैयारी जारी रखी। दो और प्रयासों के बाद, उन्होंने आखिरकार तीसरे प्रयास में NEET परीक्षा पास कर ली।
इसी तरह, गुलशन मोड़ियाम और सिल्की नेताम ने भी अपनी चुनौतियों का सामना करते हुए मेडिकल कॉलेजों में सीटें हासिल कीं। यह साबित करते हुए कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सही मार्गदर्शन से कठिन से कठिन बाधाओं को भी पार किया जा सकता है।
सुकमा के कलेक्टर हरिस एस. ने कहा कि यह उपलब्धि न केवल सुकमा के छात्रों बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा स्रोत है। हम अपना समर्थन जारी रखने और ऐसा वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहां हर बच्चे को, उसकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, सफल होने का अवसर मिले।
उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि न केवल सुकमा के छात्रों बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा स्रोत है। हम अपना समर्थन जारी रखने और ऐसा वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां हर बच्चे को, उसकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, सफल होने का अवसर मिले। जिला शिक्षा अधिकारी जीआर मंडावी ने उम्मीद जताई कि उनकी उपलब्धि जिले के अन्य लोगों को भी प्रेरित करेगी।