किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसानों को प्रदर्शन का पूरा अधिकार, बशर्ते..
नई दिल्ली। किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी आदेश जारी नहीं किया है. कोर्ट में सुनवाई टल गई है. सीजेआई ने कहा वैकेशन बैंच में मामले की सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा किसान संगठनों की बात सुनने के बाद ही आदेश जारी किया जाएगा.
उच्चतम न्यायालय ने संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उनमें से कोई भी फेस मास्क नहीं पहनता है, वे बड़ी संख्या में एक साथ बैठते हैं. कोविड-19 एक चिंता का विषय है, वे गांव जाएंगे और वहां कोरोना फैलाएंगे. किसान दूसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते.
तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है. कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है.
सीजेआई बोले कि हम कानूनों के खिलाफ विरोध करने के मौलिक अधिकार को लेकर आपत्ति नहीं जता रहे. लेकिन एक बात, जो गौर करने वाली है, वह ये है कि किसी के जीवन को नुकसान नहीं होना चाहिए.
सीजेआई ने कहा कि किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है. हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे लेकिन विरोध के तरीके पर हम गौर करेंगे.
कोर्ट ने कहा कि इसे बदलने के लिए केंद्र से सवाल भी किया जाएगा.
नागरिकों के आंदोलन का अधिकार प्रभावित नहीं होना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि एक विरोध तब तक संवैधानिक है जब तक कि यह संपत्ति या किसी के जीवन को आहत नहीं करता है. केंद्र और किसानों से बात करनी होगी. हम एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समिति के बारे में सोच रहे हैं, जिसके समक्ष दोनों पक्ष अपनी बात को रख सकें.
कोर्ट ने कहा कि समिति का पालन किया जाना चाहिए. सीजेआई ने कहा कि लेकिन इस बीच विरोध जारी रह सकता है.
सीजेआई ने सुझाव दिया कि स्वतंत्र समिति में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और अन्य सदस्य हो सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि आप (किसान) हिंसा नहीं भड़का सकते और न ही शहर को ब्लॉक कर सकते हैं.
इससे पहले न्यायालय ने इन याचिकाओं पर केंद्र और अन्य को भी नोटिस जारी किए.
न्यायालय ने जिन किसान यूनियनों को नोटिस जारी किए हैं, उनमें भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू-राकेश टिकैत), बीकेयू-सिदधुपुर (जगजीत एस दल्लेवाल), बीकेयू-राजेवाल (बलबीर सिंह राजेवाल), बीकेयू-लाखोवाल (हरिन्दर सिंह लाखोवाल) जम्हूरी किसान सभा (कुलवंत सिंह संधू), बीकेयू डकौंदा (बूटा सिंह बुर्जगिल), बीकेयू-दोआबा (मंजीत सिंह राय) और कुल हिंद किसान फेडरेशन (प्रेम सिंह भंगू) शामिल हैं.
इस मामले में कई याचिकायें दायर की गयी हैं, जिनमें दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को तुरंत हटाने के लिये न्यायालय में कई याचिकायें दायर की गयी हैं. इनमें कहा गया है कि इन किसानों ने दिल्ली-एनसीआर की सीमाएं अवरूद्ध कर रखी हैं, जिसकी वजह से आने जाने वालों को बहुत परेशानी हो रही है और इतने बड़े जमावड़े की वजह से कोविड-19 के मामलों में वृद्धि का भी खतरा उत्पन्न हो रहा है.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे विरोध प्रदर्शन कर रही किसान यूनियनों को भी इसमें पक्षकार बनायें, न्यायालय इस मामले में बृहस्पतिवार को आगे सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया है.