November 23, 2024

छत्तीसगढ़ की दिव्यांग शिक्षिका को राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित, शिक्षा के क्षेत्र में किया है सराहनीय काम

दुर्ग। देशभर में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है. वहीं इस दिन देशभर के 50 शिक्षकों को उत्कृष्ठ योगदान के लिए राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. छत्तीसगढ़ से इस साल भिलाई की दिव्यांग शिक्षिका के. शारदा को इस सम्मान के लिए चुना गया है.

बता दें, दुर्ग जिले की के. शारदा प्रदेश की पहली दिव्यांग शिक्षक हैं, जिन्हें शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने जा रहा है. 5 सितंबर को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित करेंगी। यह सम्मान उन्हें उनके शिक्षा और छात्रों के प्रति समर्पित भाव से कार्य करने और उनके इनोवेशन के लिए दिया जा रहा है.

कहते हैं कुछ कर दिखाने का मन में हौसला हो, तो कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने के रास्ते मिल जाते है. के. शारदा ने इस बात को सच कर दिखाया है. वह वर्तमान में दुर्ग जिले के खेदामारा की शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में गणित की टीचर हैं. शारदा ने शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार से छात्रों के सीखने की क्षमता में एक बड़ा बदलाव लाया है.

के. शारदा का कहना है कि सरकारी स्कूलों में अगर शिक्षक चाहे तो कम संसाधन में भी अच्छी शिक्षा बच्चो को दी जा सकती है. हमें हर बात के लिए सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए. के. शारदा ने बताया कि अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान लोगों ने उन्हें कभी आगे आने का मौका नहीं दिया, लेकिन शिक्षिका बनने के बाद अपने छात्रों को नई तकनीक से पढ़ाने के लिए उन्होंने नवाचार किया.

उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया. कोविड के दौरान उसने टीचिंग-लर्निंग-मटेरियल के जरिए गणित के अलग-अलग टॉपिक पर वीडियो बनाना शुरू किया. जो प्रदेशभर में काफी पसंद किया जाने लगा. वहीं उन्होंने ऑडियो-वीडियो बुक्स, ई-कंटेट, पीडीएफ बनाकर खेल-खेल में पढ़ाई को आसान बनाया.

के. शारदा ने पाठ्यक्रम को आसान बनाने 20 अलग-अलग विषय पर किताबें लिखी. इनमें से कुछ किताबें प्रदेश की सरकारी स्कूल में बतौर पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. इससे पहले शारदा पिछले वर्ष राज्यपाल सम्मान से भी सम्मानित हो चुकी है.

के. शारदा के दिव्यांग होने पर भी उसके माता पिता,और भाई ने कभी भी उसकी पढ़ाई या उसकी इच्छा पर रोक टोक नही किया. इसके कारण उनका हौंसला बढ़ता गया. के शारदा की मां सावित्री ने बताया कि बेटी के राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान मिलने पर बहुत खुशी है. के शारदा के भाई ने बताया कि कई बार वो अपनी बहन को कंधों में बिठाकर स्कूल लेकर जाते थे.

हमारे देश में प्राचीन समय से गुरुओं के आदर सत्कार और सम्मान की परंपरा रही है.इसलिए हर साल नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शिक्षक दिवस पर प्रतिभावान शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाता है. ये वो शिक्षक होते हैं जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और परिश्रम से विद्यालयों में ना सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया.बल्कि छात्रों के जीवन को भी बेहतर बनाने के लिए नवाचार किया है. के शारदा भी उन्हीं में से एक है.

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