टेराकोटा आर्टिस्ट हेमलाल का कमाल : CM भूपेश के जन्मदिन पर बना दी हूबहू प्रतिमा, सैनिटाइजर वाला मूषक भी कर रहा लोगों को जागरूक
रायपुर/महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में बरोंडा बाजार के रहने वाले हेमलाल चक्रधारी पेशे से शिक्षक हैं, लेकिन उनके हाथों में मिट्टी की सुंदर कलाकृतियां बनाने का जादू भी है। सूबे के मुखिया भूपेश बघेल के जन्मदिन के मौके पर भी हेमलाल ने सीएम की हूबहू प्रतिमा बनाई है, जिसे वे उनके जन्मदिन पर भेंट करना चाहते थे पर कोरोना संक्रमण के चलते यह सम्भव नहीं हो पाया। अब वे जल्द ही इस प्रतिमा को मुख्यमंत्री को भेंट करेंगे।
यूँ तो कला किसी पहचान की मोहताज नहीं होती। किसी अच्छे काम के लिए अपनी कलाओं से लोगों को प्रेरित करना अपने आप में एक विशेष पहचान देता है। जिससे वे लोगों को समय-समय पर संदेश देकर जागरूक करते रहते हैं। राज्य में कोरोना संकट के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए हेमलाल ने गणपति की प्रतिमा के साथ मूषक भी बनाया है। मूषक की पीठ पर सैनिटाइजर की बोतलें बनाई गई हैं और उसे मास्क भी पहनाया गया है। हेमलाल इस प्रतिमा से लोगों को कोरोना से बचाव करने का संदेश दे रहे हैं।
आर्टिस्ट हेमलाल ने बताया कि वे 20 साल से अलग-अलग तरह की कलाकृतियां बना रहे हैं। उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में भी लगाई जाती है। इसके साथ ही वे कई त्योहारों के मौके पर प्रतिमाएं बनाते हैं। स्वतंत्रता दिवस, जन्माष्टमी, मानवता दिवस सहित कई विशेष दिनों में हेमलाल अपने हाथों की कलाकारी दिखाते हैं।
उन्होंने बताया कि मतदाता दिवस पर भी उन्होंने लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने कलाकृति बनाई थी. टेराकोटा आर्ट के माध्यम से उन्होंने कई बार अपनी कला का प्रदर्शन किया है. लोग उनकी कलाकृतियों को पसंद भी करते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन के लिए भी एक प्रतिमा बनाई है जिसे वह जल्द ही उन्हें भेंट करेंगे।
हेमलाल के भाई हीरालाल के मुताबिक़ – हेम हर बार कुछ न कुछ करते ही रहते हैं और लोगों को क्रिएटिव तरीके से जागरूकर करते रहते हैं। हाल ही में कोरोना महामारी को देखते हुए मास्क और सैनिटाइजर का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने का संदेश देते हुए उनके भाई ने गजानन और मूषक की प्रतिमा बनाई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन के लिए भी एक प्रतिमा बनाई है जिसे वह जल्द ही उन्हें भेंट करेंगे।
हेमलाल जब मिट्टी पर अपने हाथों को फेरते हैं, तो सुंदर ढांचे खुद ही बनकर तैयार हो जाते हैं. पेशे से टीचर होने के बाद भी उन्होंने अपने अंदर के इस कलाकार को जिंदा रखा है और लगातार वे मनमोहक कलाओं को गढ़ते हुए सामाज को नए-नए संदेश देते रहते हैं। बहरहाल इस कलाकार की कलाकृतियों की पुरे राज्य में प्रशंसा हो रही हैं।