November 16, 2024

40 साल बाद खुलेगा खजाने का बंद दरवाजा… क्या किंग कोबरा कर रहा है जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की हिफाजत?

पूरी। प्राचीन मंदिरों या अन्य जगहों पर रखे खजाने की रखवाली सांपों के करने के किस्से तो आपने खुद सुने होंगे. बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों में भी इसका खूब बखान किया गया है, पर क्या हकीकत में ऐसा होता है? ओडिशा के पुरी में स्थापित दुनिया भर में मशहूर जगन्नाथ मंदिर के बारे में तो ऐसा ही कहा जा रहा है. बताया जा रहा है कि यहां खजाने की रक्षा सांप करते हैं. लोकसभा और ओडिशा के विधानसभा चुनाव के दौरान मंदिर का खजाना राजनीतिक मुद्दा बना था. अब 14 जुलाई को इसे फिर से खोलने की पहल की जा रही है.

आखिरी बार खजाने का दरवाजा साल 1985 में खोला गया था. इस बार खजाना खोलने के लिए खास तैयारी की जा रही है. 14 जुलाई को खजाना खुलेगा तो सांप पकड़ने वाले से लेकर डॉक्टर तक तैनात रहेंगे. आइए जानते हैं कि क्या सचमुच खजाने की रक्षा सांप करते हैं और मंदिर में कितना खजाना है.

दो हिस्सों में है भगवान का खजाना
जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक है, जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था. इस मंदिर में एक रत्न भंडार है, जिसे भगवान का खजाना कहा जाता है. इसी में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं भगवान जगन्नाथ, भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा के गहने रखे हैं. ये जेवरात कई राजाओं और भक्तों ने समय-समय पर चढ़ाए थे, जिनको रत्न भंडार में रखा जाता रहा है.

वास्तव में जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार दो हिस्सों में बंटा है. एक है बाहरी भंडार और दूसरा भीतरी भंडार. बाहरी रत्न भंडार में भगवान को अक्सर पहनाने वाले जेवर रहते हैं. जिन जेवरों का उपयोग नहीं होता, वे भीतरी भंडार में रखे गए हैं.

1985 में क्यों खुला था भीतरी रत्न भंडार?
मंदिर का बाहरी भंडार तो खुला हुआ है, लेकिन भीतरी रत्न भंडार को 1985 के बाद से नहीं खोला गया है. इसे भगवान बलभद्र के लिए सोने का एक गहना निकालने के लिए 14 जुलाई 1985 को खोला गया था. अब इसकी चाबी भी गायब है. इसकी जानकारी तब हुई, जब मंदिर की संरचना की भौतिक जांच की कोशिश हुई थी. तब 4 अप्रैल 2018 को बताया गया था कि रत्न भंडार की चाबियां खो गईं हैं. इसके बाद डुप्लीकेट चाबी का पता चला. इससे विवाद और बढ़ गया और पूरे मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन कर दिया गया था.

निगरानी को बनाई उच्चस्तरीय समिति
अब एक बार फिर भगवान के खजाने को खोलने की कोशिश होने जा रही है. बताया जा रहा है कि इसकी रक्षा किंग कोबरा करता है. ऐसे में ओडिशा सरकार ने इसकी पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक नयी उच्चस्तरीय समिति बनाई है, जो खजाने की कीमती वस्तुओं की सूची बनाएगी.

इस साल मार्च में बीजू जनता दल की पूर्ववर्ती सरकार ने खजाने में रखे गहनों और अन्य कीमती वस्तुओं की सूची की निगरानी को सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति बनाई थी. भाजपा की नई सरकार ने पुरानी समिति को भंग कर दिया है. पिछले दिनों ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि उड़ीसा हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार ही समिति बनाई गई है.

मंदिर प्रशासन ने की ये सिफारिश
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि मंदिर प्रशासन की 16 सदस्यीय समिति ने भगवान के खजाने को खोलने के लिए सरकार के पास मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी ) का एक ड्राफ्ट भेजा है. इसमें मांग की गई है कि भंडार खोलने के दौरान सपेरों और डॉक्टरों की टीम भी तैनात की जानी चाहिए. यह भी सुझाव दिया गया है कि पारंपरिक पोशाक में पुजारी पहले मंदिर के अंदर भगवान लोकनाथ की पूजा करेंगे. इसके बाद एहतियात के तौर पर पहले अधिकृत कर्मचारी और सांप पकड़ने वाले अंदर जाएंगे. ऐसा इसलिए किया जाएगा, ताकि अगर सांप किसी को डस ले तो उसे तुरंत इलाज मुहैया कराया जा सके और सांप को पकड़ा जा सके. हालांकि, बताया जाता है कि सांपों को लेकर स्थानीय प्रशासन तक में डर बना हुआ है.

16 सदस्यीय समिति के एक सदस्य का कहना है कि हाल ही में जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत जब मंदिर का सुंदरीकरण किया जा रहा था, तब भी परिसर में कई सांप मिले थे. इसलिए मंदिर के खजाने में भी सांपों के होने की पूरी-पूरी संभावना है.

साल 1978 में इतना था खजाना
साल 1978 में जब भगवान का खजाना खोला गया था तो सारे गहनों और अन्य सामानों की लिस्ट बनाई गई थी. इसमें कुल 70 दिन लगे थे. 13 मई 1978 को शुरू हुआ गिनती का काम 23 जुलाई 1978 तक लगातार चला था. उस वक्त भीतरी रत्न भंडार में सोने के 367 गहने मिले थे. इनका वजन 4,360 भारी (तोला) था. चांदी के 231 सामान मिले थे, जिनका वजन 14,828 भारी (तोला) था. वहीं, बाहर वाले भंडार में सोने के 87 गहने मिले, जिनका वजन 8,470 भारी बताया गया था. यहां मिले चांदी के 62 सामानों का वजन 7,321 भारी बताया गया था. बताते चलें कि एक भारी या तोला करीब 12 ग्राम का होता है.

तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने 2021 में खुद राज्य की विधानसभा को बताया था कि जगन्नाथ मंदिर का खजाना साल 1978 में खोला गया था. तब 12,831 भारी सोने और अन्य कीमती धातुएं और 22,153 भारी चांदी मिली थी. यानी मंदिर में करीब 1068 किलो सोने और 1846 किलो से ज्यादा वजन के चांदी के जेवर और सामान थे. तब भी 14 सोने और चांदी के सामानों का वजन नहीं किया जा सका था. इसके साथ ही किसी भी गहने या सामान का मूल्य निर्धारित नहीं किया गया था.

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