November 15, 2024

ये हैं ‘बंटी-बबली’ …. ठगी का तरीका जानकर चौंक जाएंगे आप

बेंगलुरु।  ठगी का एक अजीबो-गरीब मामला बेंगलुरु से सामने आया है. यह कुछ-कुछ वर्ष 2005 में आई फिल्म बंटी-बबली की तरह का है. अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी अभिनित इस फिल्म की तरह बेंगलुरु में एक दंपती ने 150 से अधिक लोगों को ठगा है. यह दंपती किराए पर मकान लेकर अन्य लोगों को लाखों रुपये लेकर लीज पर दे देता था. अब दंपती की इस ठगी का शिकार हुए 80 मकान मालिक और लीज पर मकान लेने वाले 80 लोग थाने का चक्कर काट रहे हैं और आपस में उलझे हुए हैं. दंपती ठगी के बाद से फरार है. पुलिस मामले की जांच कर रही है। 

यह दंपती सबसे पहले एक घर किराए पर लेते थे. बाद में खुद को मकान का मालिक बताकर मकान को लीज पर देते थे. लीज पर मकान देने की एवज में वे लाखों रुपये वसूलते और फिर वहां से भाग जाते. नैंसी का परिवार घर की तलाश कर रहा था. उसी दौरान मनोहर (अपराधी) से नैंसी परिवार की एक ब्रोकर रंजन ने मुलाकात कराई. 2018 में मनोहर ने होरामावु के पास जयंती नगर में एक घर दिखाया.

नैंसी परिवार ने 36 लाख 50 हजार रुपये देकर मकान लीज पर ले लिया था. हालांकि, नैंसी परिवार की मकान मिलने की खुशी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई. एक दिन मकान का असली मालिक घर आ गया. दोनों पक्ष पहले तो खूब लड़े. बात पुलिस तक पहुंची तो असली खेल का पता चला कि दोनों ही पक्षों को मनोहर ने ठग लिया है. मकान मालिक ने पुलिस को बताया कि मनोहर ने पिछले 6 महीनों से किराया नहीं दिया तो वह घर आए. घर आने पर दूसरे लोगों को देख चौंक गए. बनासवाड़ी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गई है. जांच में पता चला है कि मनोहर दंपती ने 80 से अधिक परिवारों को इसी तरह धोखा दिया है. 

किराए पर मकान देते समय यह रखें सावधानी

  • हमेशा किराएदार का बैकग्राउंड, उसके परिवार, वैवाहिक स्थिति, प्रोफेशन और कार्यस्थल के बारे में मालूम कर लें.
  • किराएदार की आमदनी वेरिफाई कर लें.
  • रेंट अग्रीमेंट तैयार होने के बाद पुलिस वेरिफिकेशन होनी चाहिए, जिसके लिए दोनों पक्षों का मौजूद होना जरूरी है.
  • सिर्फ मौखिक आधार पर रेंट एग्रीमेंट न बनाएं. भारत में रेंट के पेपर 11 महीने के आधार पर बनते हैं, क्योंकि 12 महीने या उससे अधिक के रेंट एग्रीमेंट में राज्य सरकार ही किराये की दरें तय करती हैं.
  • साथ ही यह भी ध्यान रखें कि घर के रख-रखाव की सभी बातें विस्तृत में लिखना जरूरी है. यदि आपका घर किसी सोसाइटी में है, तो अपने किराएदार को उसके नियमों की जानकारी भी लिखित रूप में जरूर दें.
  • चाबी सौंपने से पहले सारी बातें सुनिश्चित कर लें. इन सब बातों के अलावा कई विशेषज्ञ यह भी सलाह देते हैं कि यदि आप फर्निश्ड या सेमी-फर्निश्ड घर किराये पर दे रहे हैं, तो अपने सामान की सूची और मौजूदा स्थिति देख लें और किराएदार को भी उससे अवगत करवाएं.
  • यदि संभव हो तो उसकी फोटो भी खींच लें. घर में लगे पंखे, ट्यूबलाइट, बल्ब, टंकी, पाइप आदि समेत तमाम फिटिंग्स का पूरा ब्योरा अपने पास रखे, साथ ही किराएदार को भी दें. इससे आप घर खाली करने के दौरान होने वाले सभी झंझटों से खुद को बचा सकते हैं.

लीज और रेंट में अंतर

  • अगर कोई भी सामान आप लीज पर लेते हैं तो इसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी आपकी होती है, जबकि रेंट पर लिए गए सामान का मेंटेनेंस उसके मालिक ही करते हैं.
  • रेंट एग्रीमेंट में आपका मकान मालिक एग्रीमेंट ब्रेक करके शॉट टर्म में मकान खाली करने को कह सकता है, लेकिन लीज एग्रीमेंट में यह चीजें नहीं होतीं. उदाहरण के लिए अगर किसी मकान का लीज 10 सालों के लिए बना है और मकान मालिक 5 साल या 7 साल पर एग्रीमेंट ब्रेक करके इसे खाली करने को कहता है तो उसे भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है. आखिरी तक लीज के नियम और शर्तों को नहीं बदला जा सकता है.
  • रेंट में मालिक हमेशा मालिक ही होता है, जबकि लीज में किराएदार आगे चलकर उस संपत्ति का मालिक बन सकता है. अगर वह उस संपत्ति का उस वक्त की कीमत दे देता है. लीज के अंत में पट्टेदार को अवशिष्ट मूल्य र संपत्ति खरीदने का विकल्प मिलता है.
  • लेखांकन मानक के अनुसार लीज के मानक निर्धारित हैं, जबकि किराए के लिए कोई विशिष्ट मानक जारी नहीं किया गया है.
  • एक लीज एग्रीमेंट में दो पक्ष होते हैं, लेजर और लीजी यानी पट्टेदाता और पट्टेदार. इसके विपरीत, मकान मालिक और किराएदार किराए के मामले में पक्षकार हैं.
  • पट्टेदार पट्टेदाता को किराया का भुगतान करता है, जबकि किराएदार मकान मालिक को किराए का भुगतान करता है.
  • रेंटल एग्रीमेंट अपने आप रिन्यू हो जाता है, लेकिन लीज के मामले में ऐसा नहीं है.
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