दो साल में 7 बार तबादला : 7 दिन से धरने पर बैठा है वनपाल, बोला – भ्रष्टाचार छिपाने कर रहे प्रताड़ित..
बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में एक वनपाल ने विभाग के कर्मचारियों व डीएफओ पर ही प्रताड़ना का आरोप लगाया है और कहा है कि उसकी ईमानदारी के कारण दो साल में सात बार तबादला किया गया। वहीं उसने आरोप लगाया है कि आग से जंगलों को बचाने के लिए दो साल में मजदूरी भुगतान के लिए 1.28 करोड़ का आहरण वन मंडल अधिकारी व परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा किया गया लेकिन मजदूरों को नहीं दिया गया। इतना ही नहीं वन परिक्षेत्र कुसमी व लिपिक के द्वारा वनपाल का फर्जी हस्ताक्षर कर लेबर भुगतान के लिए करोड़ों रुपए का आहरण बैंक से करने का भी आरोप लगा है और कार्यवाही नहीं होने पर सप्ताह भर से वनपाल परिवार के साथ बलरामपुर डीएफओ कार्यालय के बाहर धरने पर है, तो इसे लेकर वन कर्मचारी संगठन ने भी 24 फरवरी से आंदोलन की चेतावनी दे दी है।
वनपाल अनिल कुमार टोप्पो ने कलेक्टर को इसे लेकर आवेदन दिया है और बताया है कि वह वर्ष 2018 में कुसमी में पोस्टेड था, इस बीच वन परिक्षेत्र कुसमी व परिक्षेत्र लिपिक इन्दर पैकरा व प्रकाश गुप्ता ने फर्जी हस्ताक्षर कर लेबर भुगतान के लिए करोड़ों रुपये आहरित कर लिया जिसे मजदूरों को भी नहीं दिया गया। इसी तरह मुख्य वन संरक्षक अंबिकापुर ने कुसमी रेंज से शंकरगढ़ उमको सर्किल में ट्रांसफर किया लेकिन उसे स्थापना शाखा के बाबू ने दबा दिया। इसके अलावा कुसमी से चैनपुर सर्किल में तबादला हुआ तो उसका आदेश भी दबा दिया गया। आरोप है कि बाबुओं द्वारा मेरा फर्जी साइन मामले को मिटाने के लिए चांदो रेंज में किया गया तो इस पर चांदो में ज्वाइन नहीं किया, इस पर दो माह का वेतन रोका गया।
वन कर्मचारी संगठन के जिला अध्यक्ष श्याम बिहारी मिश्रा ने कहा है कि वनपाल के धरने पर बैठने व उसके बाद भी कार्यवाही नहीं होने पर संगठन ने भी आंदोलन की चेतावनी दी है। हमनें 23 फरवरी तक का समय दिया है, डीएफओ कार्यवाही नहीं करते हैं तो हम आंदोलन करेंगे।
कलेक्टर को लिखे आवेदन में बताया गया है कि स्थापना शाखा के लिपिक कर्मचारियों की मृत्यु के बाद अनुकम्पा नियुक्ति के लिए दो से तीन लाख ले रहे हैं। जिसमें अफसरों का भी हाथ है। बता दें कि वनपाल की पत्नी शंकरगढ़ ब्लाक में शिक्षिका है और वह भी धरने में हैं।
आरोप लगाया है कि डीएफओ ने प्रताड़ित करने के लिए उड़नदस्ता सहायक के लिए आदेश किया। वहीं इस बीच कोरोना हुआ तो अस्पताल में भर्ती हुआ और दो माह शरीर कमजोर होने के कारण नौकरी नहीं किया तो सभी दस्तावेज जमा करने के बाद भी वेतन नहीं दिया गया।