December 24, 2024

सेना में शामिल किए जा सकते हैं दो कूबड़ वाले बैक्ट्रियन ऊंट, जानें खासियत

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लेह।  पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तल्खी जारी है. तनाव को कम करने के लिए छठवें दौर की कमांडर स्तर की वार्ता जारी है. इसी बीच खबर आ रही है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त करने में सैनिक की मदद करने के लिए लद्दाख के प्रसिद्ध दो कुबड़ वाले ऊंटों को भारतीय सेना में जल्द शामिल किया जा सकता है। 

लेह में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने दो कूबड़ या बैक्ट्रियन ऊंटों पर शोध किया है. शोध में पाया गया है कि दो कूबड़ वाले ऊंट लद्दाख क्षेत्र में 17,000 फीट की ऊंचाई पर 170 किलोग्राम का भार उठा सकते हैं.

इस संबंध में डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रभु प्रसाद सारंगी ने कहा कि हम दो कूबड़ वाले ऊंटों पर शोध कर रहे हैं. वह स्थानीय जानवर हैं. हमने इन ऊंटों की धीरज और भार वहन करने की क्षमता पर शोध किया है. हमने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में शोध किया है. चीन सीमा के पास 17,000 फीट की ऊंचाई पर पाया गया कि दो कूबड़ वाले ऊंट 170 किलो का भार ले जा सकते हैं और इस भार के साथ वह 12 किलोमीटर तक गश्त कर सकते हैं.

इन स्थानीय दो कूबड़ वाले ऊंटों की तुलना एक कूबड़ वाले ऊंटों से की गई थी, जिन्हें धैर्य के परीक्षण के लिए राजस्थान से लाया गया था. यह ऊंट भोजन और पानी की कमी के कारण तीन दिनों तक जीवित रह सकते हैं.

अब डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च (DIHAR) इन दो कूबड़ वाले ऊंटों की आबादी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

सारंगी ने कहा कि परीक्षण किया जा चुका है और इन ऊंटों को जल्द ही सेना में शामिल किया जाएगा. इन जानवरों की आबादी कम है, लेकिन समुचित प्रजनन के बाद जब इनकी संख्या बढ़ जाएगी, तब इन्हें सेना में शामिल किया जाएगा.

गौरतलब है कि भारतीय सेना पारंपरिक रूप से क्षेत्र के खच्चरों का उपयोग करती थी, जो लगभग 40 किलोग्राम भार ले जाने की क्षमता रखते हैं.

गौरतलब है कि सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच लगातर बैठक हो रही है, लेकिन अभी तक सभी वार्ताएं फेल साबित हुई हैं. भारत और चीन के बीच सीमा पर मई महीने से ही तनाव जारी है.

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