March 17, 2025

जमानत न पा सके आरोपी इसलिए जोड़ दी यूएपीए की धाराएं! सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को लगाई फटकार

SC-SC
FacebookTwitterWhatsappInstagram

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ पुलिस को फटकार लगाई। पुलिस ने एक व्यक्ति पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत जानबूझकर आरोप जोड़े थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कार्रवाई सिर्फ इसलिए की गई थी ताकि उस व्यक्ति को पहले दिए गए गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण के आदेश को नाकाम किया जा सके।

कोर्ट ने कार्रवाई को जल्दबाजी में बताया

जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पुलिस की कार्रवाई को “जल्दबाजी” में किया गया बताया। UAPA का हवाला देकर व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की कड़ी आलोचना की। जज ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि संबंधित पुलिस अधिकारी ने “अत्यंत अनुचित” काम किया है। कोर्ट ने पुलिस अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी भी दी।

मनीष राठौर को जमानत दे दी

कोर्ट ने आरोपी मनीष राठौर को जमानत दे दी। खंडपीठ ने अपने 2 जनवरी के अंतरिम आदेश को भी पूर्ण कर दिया, जिससे उसे एक आपराधिक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा मिली थी।

SC के जनवरी के अंतरिम आदेश के बाद, पुलिस अधिकारी ने एक और FIR में UAPA के आरोप जोड़ने के लिए सत्र न्यायाधीश का दरवाजा खटखटाया था। यह FIR पहले से ही दर्ज थी और इसमें आरोपी को 2 जनवरी से पहले ही जमानत मिल चुकी थी।

पुलिस अधिकारी के बचाव की कोशिश

राज्य के वकील ने पुलिस अधिकारी के आचरण का बचाव करने की कोशिश की। उन्होंने तर्क दिया कि आरोपी पहले जमानत पर छूट गया था, और ऐसे सबूत हैं कि वह नक्सली गतिविधियों में शामिल था।

एससी ने कार्रवाई को गलत बताया

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई को गलत ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने जानबूझकर UAPA कानून का इस्तेमाल किया। कोर्ट का मानना है कि पुलिस सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बेअसर करना चाहती थी। इससे पहले कोर्ट ने मनीष राठौर को गिरफ्तारी से सुरक्षा दी थी। जज ने पुलिस अधिकारी के व्यवहार को “अत्यंत अनुचित” बताया। जज ने यह भी कहा, “संबंधित पुलिस अधिकारी ने ‘अत्यंत अनुचित’ काम किया है।”

पुलिस ने पहले राठौर को जमानत मिलने के बाद UAPA के आरोप जोड़े थे। पुलिस का कहना था कि राठौर जमानत का उल्लंघन कर चुका है। पुलिस ने यह भी दावा किया कि राठौर नक्सली गतिविधियों में शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को नहीं माना। कोर्ट ने पुलिस की मंशा पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने UAPA का गलत इस्तेमाल किया है। इससे पता चलता है कि पुलिस सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान नहीं करती।

FacebookTwitterWhatsappInstagram
error: Content is protected !!
Exit mobile version