December 22, 2024

‘हार-जीत तो जीवन का हिस्सा है’, विद्यार्थियों की आत्महत्या के मामलों पर राष्ट्रपति मुर्मू ने जताई चिंता

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रायपुर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों की आत्महत्या पर चिंता जताई और कहा कि समाज से अपील है कि वे इन बच्चों की मानसिकता को समझकर इनकी मदद करें। राष्ट्रपति ने कहा,‘यदि हम रामराज्य लाने का स्वप्न देख रहे हैं तब इसके लिए हमें राम और सीता बनना होगा।’ राष्ट्रपति ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित ब्रम्हकुमारी संस्थान के शांति सरोवर रिट्रीट सेंटर में ‘सकारात्मक परिवर्तन का वर्ष’ कार्यक्रम की शुरुआत की।

राष्ट्रपति ने 2 विद्यार्थियों की आत्महत्या का किया जिक्र

राष्ट्रपति ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा,’एक ओर हमारा देश नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। चाहे चांद पर तिरंगा लहराना हो या विश्व स्तर पर खेल-कूद के क्षेत्र में नए अध्याय लिखने हों, हमारे देशवासी अनेक कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। यह बदलते भारत की खूबसूरत तस्वीर है। दूसरी ओर, एक अत्यंत गंभीर विषय है जिसे मैं आपके समक्ष रखना चाहती हूं। कुछ दिनों पहले ही नीट की तैयारी करने वाले दो विद्यार्थियों ने अपने जीवन, अपने सपनों और अपने भविष्य का अंत कर दिया। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पढ़ाई कर रहे कई बच्चों ने पिछले दिनों आत्महत्या की है।’

‘बच्चों आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने में मदद करें’
मुर्मू ने कहा,’प्रतिस्पर्धा एक सकारात्मक भाव है जिससे जीवन संवरता है। हार-जीत तो जीवन का हिस्सा है। मुझे बहुत दुख होता है जब कुछ बच्चों में कई कारणों से नकारात्मक भाव उत्पन्न हो जाते हैं। इस बात के अनेक उदाहरण हैं कि क्षणिक असफलता में भविष्य की सफलता निहित होती है। मेरी इस भावी पीढ़ी के परिवार के लोगों, दोस्तों, अध्यापकों और समाज से अपील है कि वे इन बच्चों की मानसिकता को समझकर इनकी सहायता करें। मैं कहना चाहूंगी कि यदि बच्चों पर पढाई का, प्रतियोगिता का दबाव है, तो सकारात्मक सोच के द्वारा उसे दूर करके उनको आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने में मदद करें।’

‘हर एक व्यक्ति को ईश्वर ने अलग बनाया है’
राष्ट्रपति ने कहा,’हर एक व्यक्ति को ईश्वर ने अलग बनाया है और सब में अनोखी प्रतिभाएं होती हैं। दूसरों से प्रेरणा लेना अच्छी बात है लेकिन हमें अपनी रुचियों, अपनी क्षमताओं को समझकर अपने लिए सही दिशा का चुनाव करना चाहिए। इसके लिए स्वयं से संवाद करना आवश्यक है।’ उन्होंने ब्रहमाकुमारी परिवार की सराहना करते हुए कहा, ‘ब्रहमाकुमारी परिवार के सदस्य इस दिशा में कई वर्षों से कार्यरत हैं। मनुष्य के अंतर्मन को जागृत करके उसकी क्षमताओं को बढ़ाया जा सकता है। सकारात्मक सोच और कार्यों से केवल अपनी ही नहीं बल्कि आस-पास के सब लोगों का जीवन भी बेहतर बनाया जा सकता है। मेरी आध्यात्मिक यात्रा में भी ब्रह्माकुमारी संस्था ने मेरा बहुत साथ दिया।’

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