November 14, 2024

छत्तीसगढ़ में न्यायिक व्यवस्था में दखल के आरोपों की तह में जाएंगे, ‘नान’ घोटाले पर बोला सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालत छत्तीसगढ़ के एनएएन घोटाले में शामिल पूर्व अफसरों द्वारा जज को प्रभावित करने के आरोपों की जांच करेगी। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को कहा कि वह ईडी और छत्तीसगढ़ सरकार के उन गंभीर आरोपों की जांच करेगा जिसमें नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) घोटाले के आरोपी पूर्व अफसरों अनिल के. टुटेजा और आलोक शुक्ला पर अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट के एक जज को प्रभावित करने का आरोप है।

सुप्रीम कोर्ट ने दो बातों पर मांगे सबूत
जस्टिस ए एस ओका और ए जी मसीह की पीठ ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से दो बातों पर सबूत मांगे। पहला, क्या पूर्व अफसरों ने सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए जमानत का दुरुपयोग किया है? और दूसरा, क्या उन्होंने घोटाले में अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट के जज को प्रभावित किया है?

एसजी ने सीलबंद लिफाफे में दाखिल किए सबूत
एसजी राजू ने कहा कि ईडी ने सीलबंद लिफाफे में सबूत दाखिल किए थे, लेकिन पीठ उन्हें नहीं खोज पाई। राजू ने नए सिरे से सबूत दाखिल करने की पेशकश की। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सीनियर वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि राज्य ने अपने हलफनामों में व्हाट्सएप चैट की डिटेल्स शामिल की है, जो पूर्व अफसरों, राज्य के तत्कालीन महाधिवक्ता और जज के बीच सांठगांठ दिखाते हैं।

‘आरोपी और ईडी के बीच है मामला’
आरोपियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है क्योंकि मामला आरोपी और ईडी के बीच है। उन्होंने हैरानी जताई कि राज्य ने मामले में हलफनामा क्यों दायर किया।

जेठमलानी ने कहा कि राज्य के तत्कालीन महाधिवक्ता ने धोखाधड़ी को अंजाम देने में भाग लिया था और स्थापित न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर करते हुए जमानत दिलाने में मदद की थी। रोहतगी ने कहा कि ये हलफनामे अदालत के सामने कार्यवाही में व्यर्थ हैं क्योंकि ईडी मामले की सुनवाई राज्य के बाहर ट्रांसफर करने की मांग कर रही है।

अब 8 नवंबर को होगी सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को तय करते हुए पीठ ने कहा कि उसे आरोपियों, पूर्व महाधिवक्ता और जज के बीच कथित सांठगांठ पर ईडी और राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए सबूतों की जांच करनी होगी। पीठ ने कहा, ‘हम इसकी जांच करेंगे क्योंकि आरोप न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ है।’ एलजी राजू ने कहा, ‘इस तरह के दीमक को न्यायिक व्यवस्था को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’

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