क्या नक्सली नेता गणपति करेगा सरेंडर? छत्तीसगढ़ सरकार ने रखा है 1 करोड़ का इनाम
रायपुर। छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों के पुलिस को छका रहे नक्सली नेता मुपल्ला लक्ष्मणा राव उर्फ गणपति के आत्मसमर्पण की खबरें तेजी से फैल रही हैं। जानकारी के मुताबिक, लंबे समय तक नक्सलियों के केंद्रीय महासचिव के रूप में काम कर चुके गणपति ने आत्मसमर्पण करने का मन बना लिया है। गणपति ने तेलंगाना पुलिस को सरेंडर करने की पेशकश की है। गुरुवार को गणपति की तेलंगाना सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण की संभावना जताई जा रही है। गणपति पर छत्तीसगढ़ सरकार ने एक करोड़ का इनाम रखा है। कई और राज्यों ने भी गणपति पर इनाम घोषित किया हुआ है।
आईपीएस आरके विज ने ट्वीट कर लिखा है कि गणपति के आत्मसमर्पण से सीपीआई (माओवादी) की योजना और दंडकारण्य के बारे में बहुत सारी जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि गणपति 30 से ज्यादा साल से जंगल में रह रहा है। अगर गणपति के आत्मसमर्पण की बात सच है, तो इसे सीपीआईएमएल के क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास में एक बहुत बड़ी क्षति मानी जाएगी. दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि गणपति के साथ चार अन्य माओवादी आत्मसमर्पण करने की तैयारी में हैं. हालांकि इस बात की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक,गणपति अपने खराब स्वास्थ्य की वजह से सरेंडर कर सकता है. गणपति अस्थमा, मधुमेह और गंभीर जोड़ों के दर्द से पीड़ित है। गणपति अभी भी नक्सली पार्टी की केंद्रीय समिति का हिस्सा है, लेकिन पिछले कुछ समय से वो सक्रिय नहीं था।
मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति साल 2004 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव बने. तब ‘माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर’ यानी ‘एमसीसी’ और सीपीआई-एमएल (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ‘पीपल्स वॉर ग्रुप’ यानी ‘पीडब्लूजी’ का विलय हुआ था. अविभाजित आंध्र प्रदेश के करीमनगर जिले में पैदा हुआ गणपति शिक्षक का काम छोड़ उच्च शिक्षा के लिए वारंगल चला गया. बताया जाता है कि वारंगल में ही उसका संपर्क पीपल्स वॉर ग्रुप के कोंडापल्ली सीतारमैया से हुआ, जो संगठन का महासचिव हुआ करता था. बाद में गणपति भी पीडब्लूजी का महासचिव बन गया।