December 24, 2024

छत्तीसगढ़ : फर्जी राशन कार्ड से 2718 करोड़ का घोटाला, ईओडब्ल्यू ने दर्ज की एफआईआर

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रायपुर।छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित फर्जी राशन कार्ड मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ( ) ने एफआईआर दर्ज कर ली है।  इस एफआईआर को नान घोटाला मामले की जांच में सामने आए तथ्यों से जोड़कर देखा जा रहा है।  तत्कालीन रमन सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2013 में बड़ी तादात में फर्जी ढंग से राशन कार्ड बना दिए गए थे।  आरोप था कि चुनावी फायदा उठाने के लिए फर्जी राशन कार्ड बनाए गए हैं।  तब विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था।  मामला कोर्ट तक पहुंचा था. ईओडब्ल्यू ने खाद्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई है।  प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आए हैं कि अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक कुल 11 लाख 8 हजार 515 टन चावल निरस्त राशनकार्डों में वितरित कर दिया गया।  इससे शासन को 2 हजार 718 करोड़ रूपए की हानि हुई।  ईओडब्ल्यू ने खाद्य विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध मानते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(C) एवं आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है. प्रकरण दर्ज होने के बाद लोकसेवकों की भूमिका की जांच नए सिरे से की जाएगी। 

ईओडब्ल्यू के मुताबिक अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक निरस्त राशन कार्डों में वितरित चावल की सब्सिडी की गणना की गई थी, जिसके आधार पर साल 2013 से 2016 तक कुल 11 लाख 8 हजार 515 टन चावल निरस्त राशनकार्डों में वितरित होना पाया गया।  इससे शासन को 2 हजार 718 करोड़ रूपए की हानि हुई।  निरस्त राशन कार्डों में वितरित किए गए खाद्यान्न को राशन दुकानों तक पहुंचाने तथा वितरण की जिम्मेदारी खाद्य विभाग के संचालनालय के अधिकारियों से लेकर विभिन्न जिलों में काम कर रहे अधिकारियों-कर्मचारियों की थी, लिहाजा सभी जांच के दायरे में आएंगे. राशन के परिवहन करने वाली एजेंसी भी जांच के जद में आएगी।  ईओडब्ल्यू के अधिकारियों की माने तो विभागीय अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राशन कार्ड बनवाए. इन राशन कार्डों को असली बताकर खाद्यान्न का वितरण दिखाया गया. ईओडब्ल्यू की आंशका है कि इस आड़ में भ्रष्टाचार कर जुटाई गई करोड़ों रूपए की रकम कई प्रभावशाली लोगों तक बांटी गई। 
ईओडब्ल्यू ने खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बताया कि उपरोक्त राशन कार्ड बनाये जाने से पहले 2011 की आर्थिक सामाजिक जनगणना में 56,50,724 परिवार थे।  उपरोक्त आधार पर निर्धारित 56,50,724 में से सामान्य परिवार की संख्या को घटाकर (लगभग 20 प्रतिशत) पात्रता अनुसार राशनकार्ड बनाये जाने थे जो लगभग 45 लाख राशन कार्ड होना चाहिए किंतु वर्ष 2013 के अंत तक कुल 71,30,393 राशन कार्ड बनाये गये जिससे लगभग 14.80 लाख राशनकार्ड बोगस बनाया जाना स्पष्ट परिलक्षित होता है।  खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मई 2013 से दिसम्बर 2013 तक प्रदेश के 27 जिलों में 71,30,393 राशन कार्ड बनाये गये तथा जुलाई 2013 से दिसम्बर 2013 तक 41,8,47 राशन कार्ड निरस्त किये गये।  वर्ष 2014 में 72,9,99 राशन कार्ड बनाये गये तथा 5,54,231 राशन कार्ड निरस्त किये गये, वर्ष 2015 में 3638 राशन कार्ड बनाये गये तथा 3,19,134 राशन कार्ड निरस्त किये गये, वर्ष 2016 में 19,886 राशन कार्ड बनाये गये तथा 1,36,785 राशन कार्ड निरस्त किये गये थे. खाद्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष सितंबर 2013 एवं अक्टूबर 2013 में 72,3000 राशनकार्ड के लिये कमशः 2,23,968 एम.टी, 2.27.020 मेट्रिक टन चांवल का आबंटन जारी किया गया. माह नवंबर और दिसंबर 2013 में क्रमशः 70.66 लाख और 70.62 लाख राशनकार्ड के लिये कमशः 2,18,974 एम.टी. और 2,23,401 मेट्रिक टन चांवल जारी किया गया जो कि 2011 में दर्शित परिवारों की संख्या से 16.80 लाख एवं 14.16 लाख ज्यादा थी।  इससे यह स्पष्ट होता है कि यदि प्रदेश का सारे परिवारों का राशनकार्ड बना दिया जाता तो भी राशनकार्डो की संख्या 56 लाख से ज्यादा नहीं हो सकती थी।  इससे यह स्पष्ट होता है कि लगभग 15 लाख राशनकार्डो में जो चावल वितरित होना दिखाया गया है वह खुले बाजार में उंची कीमत में बिकवाया गया है।  सितम्बर 2013 से दिसम्बर 2013 तक लगभग 70 लाख से अधिक राशनकार्डो पर चावल एवं अन्य वस्तु का आंबटन किया गया बताया गया है, जबकि इस अवधि में 62 लाख से अधिक राशनकार्ड छापे।  10 लाख बोगस बनाये गये राशनकार्डो पर चावल आदि का वितरण वैध रूप से नहीं हुआ जिसकी जिम्मेदारी संचालनालय स्तर के अधिकारियों थी, जिनको राशन कार्ड संख्या के आधार आबंटन जारी करना था।  दिनांक 06.10.2013 तक 62 लाख राशनकार्ड जिलों में भेजे जाने का उल्लेख है,  जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस दिनांक तक केवल 62 लाख कार्ड ही प्रिंट हुए थे नियमतः इन्हीं राशनकार्डो पर आबंटन एवं वितरण किया जाना था किन्तु इस तिथि के पहले ही माह सितंबर और अक्टूबर में 72.03 लाख राशनकार्ड के लिये 2.23968 मेट्रिक टन चांवल आवंटित कर दिया गया है जब कि शेष 10 लाख राशनकार्ड प्रिंट भी नहीं हुए थे। 
फर्जी राशन कार्ड घोटाले मामले को लेकर सबसे पहले फरवरी 2016 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी, इस पर सरकार को नोटिस जारी किया गया था।  लेकिन सरकार ने मई 2018 में अपना जवाब पेश किया था।  इस जवाब में सरकार ने गड़बड़ियां मानी थी। . साल 2013 में राशन कार्ड की संख्या एकाएक बढ़ गई थी. जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक 2013 में राज्य में कुल 59 लाख परिवार होने चाहिए थे, लेकिन तत्कालीन रमन सरकार ने 72 लाख राशन कार्ड जारी कर दिए। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने जब इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाना शुरू किया।  राजनीतिक तौर पर मामले की गर्माहट को देखते हुए तत्कालीन सरकार ने राशन कार्ड में कटौती की। 
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