December 22, 2024

CG : अब तक 287 ढेर, 10 साल में माओवादियों का इलाका आधा!, जानें क्या है ‘थ्री लेवल फार्म्युला’ जिसकी काट नहीं ढूंढ पा रहे नक्सली…

NAXAL DAM TOD RAHA

रायपुर। दक्षिण छत्तीसगढ़ में, माओवादियों का प्रभाव कम हो रहा है। पहले 18,000 वर्ग किलोमीटर में फैला उनका क्षेत्र अब घटकर 8,500 वर्ग किलोमीटर रह गया है। यह जानकारी सूत्रों ने दी है। वास्तविक क्षेत्र इससे भी कम हो सकता है। क्योंकि किसी भी घटना के बाद आसपास के 50 वर्ग किलोमीटर को प्रभावित मान लिया जाता है। सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक माओवाद को खत्म करना है।

थ्री लेवल प्लानिंग पर चल रहा काम
माओवाद को खत्म करने के लिए तीन स्तरीय रणनीति अपनाई गई है। पहला, सुरक्षाबलों ने रक्षात्मक रवैये को छोड़कर आक्रामक रुख अपनाया है। दूसरा, केंद्र और राज्य की एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल बनाया गया है। तीसरा, माओवाद प्रभावित गांवों में विकास कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि स्थानीय लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके। जिसे माओवादी चालाकी से रोकते थे। इस रणनीति के कारण पिछले 10 सालों में माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में कमी आई है।

लोकेशन, मोबाइल और मीडिया पर नजर
सुरक्षाबल अब माओवादियों के गढ़ में घुसकर कार्रवाई कर रहे हैं। वे लोकेशन, मोबाइल और सोशल मीडिया की मदद से माओवादियों पर नज़र रख रहे हैं। कॉल लॉग और फोरेंसिक जैसे वैज्ञानिक तरीके भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं। माओवादियों से जब्त 98 करोड़ रुपये से उनके फंडिंग चैनल बंद हो गए हैं। एक अधिकारी ने कहा, ‘बड़े पैमाने पर, माओवादी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों में फैले पांच से छह जिलों तक ही सीमित हैं। इन क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने और मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने का लक्ष्य है।’

आंकड़ों से समझें गणित
सुरक्षाबलों ने इस साल बड़ी संख्या में माओवादियों को निष्क्रिय किया है। 287 माओवादी मारे गए, 992 गिरफ्तार हुए और 837 ने आत्मसमर्पण किया। 2024 में माओवादियों के खिलाफ हुई मुठभेड़ें पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा हैं। देश भर में कुल 156 मुठभेड़ हुईं, जिनमें से 112 छत्तीसगढ़ में हुईं। इन 112 मुठभेड़ों में से 102 बस्तर इलाके में हुईं। सूत्रों का कहना है कि माओवादियों का प्रभाव क्षेत्र पहले के 18,000 वर्ग किलोमीटर से घटकर 8,500 वर्ग किलोमीटर रह गया है। हालांकि, वास्तविक क्षेत्र इससे भी कम हो सकता है। क्योंकि एक भी घटना होने पर आसपास के 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को माओवाद प्रभावित मान लिया जाता है।

माओवादियों की तोड़ दी कमर
माओवादियों से जब्त 98 करोड़ रुपये ने उनके फंडिंग नेटवर्क को कमजोर कर दिया है। इसके अलावा, स्थानीय लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाकर उन्हें माओवादियों के चंगुल से निकाला जा रहा है।

मुख्य खबरे

error: Content is protected !!
Exit mobile version