November 3, 2024

CG – किसान ने की आत्महत्या : कर्ज व घाटे से परेशान किसान ने फांसी लगा कर दी जान, सुसाइड नोट बरामद

महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद में गुरुवार की सुबह एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान को किसानी में लगातार घाटे हो रहे थे। उसका शव खेत में एक पेड़ पर लटका मिला। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया। बताया गया कि किसानी में हो रही दिक्कतों के कारण किसान ने मौत को गले लगा लिया। मृतक के पास से सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें किसानी में घाटा समेत बिजली विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया है।

तेंदुकोना थाना क्षेत्र के ग्राम छुइहा निवासी किसान कन्हैया लाल सिन्हा पिता बिसाहू राम (65) वर्ष खेतीबाड़ी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहा था। किसान के बड़े बेटे भागीरथी ने बताया कि गुरुवार सुबह से ही उसके पिता कन्हैया सिन्हा खेत के लिए निकल गए थे। अपने खेत पहुंचने के बाद पगडंडी स्थित आम के पेड़ पर फांसी लगाकर उन्होंने आत्महत्या कर ली। सुबह छह बजे ग्रामीणों ने बेटे को इसकी सूचना दी कि उसके पिता का शव खेत के पेड़ पर लटका हुआ है। स्वजन खेत पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। तेंदुकोना पुलिस ने गांव पहुंचकर शव को पेड़ से नीचे उतारा। मृतक किसान के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें किसान ने अपनी मौत का जिम्मेदार किसानी में कर्ज और बिजली विभाग को बताया

सुसाइड नोट में लिखा था कि पिछले आठ- नौ साल से किसानी में घाटा हो रहा था। लगातार हो रहे इस घाटे से उबरने के लिए किसान ने उम्मीद में रबी फसल लगाई। जिसमे बिजली के लो वोल्टेज की समस्या ने घेर लिया और चार एकड़ की फसल बर्बाद हो गई। जिस कारण उसके ऊपर कर्ज हो गया है। बदनामी के डर से वह आत्महत्या कर रहा है। पुलिस ने सुसाइड नोट को कब्जे में लेकर शव को पोस्टमार्टम के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बागबाहरा भेजा। किसान की मौत से परिवार गमगीन है। मृतक किसान की बीवी, एक बेटा व दो बेटी है जिनकी ब्याह हो चुका है। पुत्र भागीरथी भी उनके साथ रहता है, जिनका एक बेटा और तीन बेटी भी है। जो घर पर रहकर खेती-बाड़ी का काम करता है। तेंदुकोना पुलिस ने बताया कि किसानों के पास से सुसाइड नोट मिला है। मर्ग कायम कर विवेचना में लिया गया है।

मृतक कन्हैया सिन्हा का परिवार पूरी तरह से किसानी पर निर्भर है। किसानी के अलावा मृतक बोर खनन से पूर्व पानी की जांच करते थे। ग्रामीणों के अनुसार अपने खेत मे पानी की जांच कर लगभग 10 से अधिक बोरखनन किए, लेकिन सफल नहीं हो पाए। जिसके चलते अनावश्यक कर्ज बढ़ता चला गया था। इन खर्च को पूरा करने साहूकार और अन्य निजी बैंक से भी कर्ज ले चुके थे और किसानी और अन्य कार्य के लिए कर्ज बढ़ रहा था, जिससे वे चिंतित थे।

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