CG : 11वीं की छात्रा ने अपनी जबान काटकर भोले बाबा को कर दी अर्पित, फिर खुद को मंदिर में किया कैद और…
सक्ती। छत्तीसगढ़ के सक्ती जिलान्तर्गत ग्राम अचरीतपाली निवासी आरुषि चौहान, जो अपने मामा के घर देवरघटा में रहकर पढ़ाई करती है. उसने सोमवार सुबह एक चौंकाने वाला कदम उठाया. 11वीं कक्षा की इस छात्रा ने अपने गांव के पास बने भोले बाबा के मंदिर में अपनी जीभ काटकर भगवान को अर्पित कर दी. इसके बाद, उसने मंदिर के दरवाजे बंद कर खुद को साधना में लीन कर लिया. मंदिर परिसर में खून फैला हुआ है. वहीं, छात्रा ने अपनी जबान काटने से पहले दो पन्नों का एक नोट भी लिख कर बाहर छोड़ा है.
नोट में ये लिखा
मंदिर में खुद को बंद करने से पहले किसोरी ने जो नोट छोड़ा है, उसमें उसने लिखा है कि किसी की आवाज नहीं आनी चाहिए, गाड़ी या इंसान की बिल्कुल भी आवाज नहीं आनी चाहिए. आगे लिखा है कि अगर में उठ गई तो सबकी मौत हो जाएगी, चाहे मेरे पापा हो, मम्मी हो या कोई अधिकारी.
“काकरों आवाज नहीं आना चाहिए, गाड़ी या आदमी काकरो नहीं. अगर मैं उठ जहा, तो सब के मर्डर हो जाहि, चाहे मोर पापा या मम्मी या कोई अधिकारी समझ में नहीं आ रहा है आप सभी का.”
गांववालों ने बढ़ाई पुलिस की मुश्किलें
घटना के बाद जब पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची, तो गांव के लोगों ने उन्हें मंदिर के अंदर जाने से रोक दिया. ग्रामीणों ने मंदिर को घेर लिया और किसी भी बाहरी व्यक्ति को हस्तक्षेप करने नहीं दिया. छात्रा के माता-पिता का भी कहना है कि उनकी बेटी स्वस्थ है और उन्होंने उसे अस्पताल ले जाने से साफ इनकार कर दिया.
प्रशासन की प्रतिक्रिया
एसडीओपी सुमित गुप्ता ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे. उन्होंने छात्रा और उसके माता-पिता को समझाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन वे नहीं मान रहे हैं. डॉक्टरों की टीम और 108 एम्बुलेंस भी वहां तैनात कर दी गई है. हालांकि, परिवार वालों का कहना है कि यह उनकी “धार्मिक मान्यता” का हिस्सा है.
समाज में अंधविश्वास का प्रभाव
यह घटना न केवल बच्ची की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाती है, बल्कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास और धार्मिक कुप्रथाओं की गंभीरता को भी उजागर करती है. ऐसी घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि शिक्षा और जागरुकता के बावजूद किस तरह अंधविश्वास मानव जीवन पर आज भी अपना प्रभाव बना रखा है. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि समाज को जागरूक बनाएं और बच्चों को अंधविश्वास से दूर रखने के लिए अच्छी शिक्षा देने के साथ ही और संवाद भी किया जाए.