November 15, 2024

सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई जबरदस्त मुठभेड़, कई नक्सलियों के घायल होने की दावा

०० जवानों ने नक्सलियों का कैंप किया ध्वस्त, भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद

रायपुर| कांकेर में शुक्रवार शाम को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई। बरसते पानी में जंगल में घुसे जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली जान बचाकर भाग निकले। मुठभेड़ में कुछ नक्सलियों के घायल होने की भी खबर है। इस दौरान जवानों ने नक्सलियों का एक कैंप भी ध्वस्त किया है। वहां पर भारी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद हुई है। फिलहाल इलाके में सर्चिंग जारी है। मुठभड़े की पुष्टि एसपी शलभ सिन्हा ने की है।

जानकारी के मुताबिक, आमाबेड़ा क्षेत्र में शुक्रवार को डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) जवान सर्चिंग पर जंगल की ओर निकले थे। इसी दौरान बरसते पानी में जवानों की नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई। करीब एक घंटे तक दोनों ओर से रुक-रुक कर फायरिंग होती रही। फिर जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली मौके से जान बचाकर भाग निकले। फायरिंग रुकने के बाद जवानों ने सर्चिंग शुरू की तो जंगल में नक्सलियों का कैंप मिला तलाशी के दौरान कैंप से भारी मात्रा में किताबें, दवाइयां, नक्सली वर्दी, बर्तन, खाने का सामान सहित अन्य सामग्री बरामद हुई है। फिलहाल रात तक जवानों की सर्चिंग जंगल में जारी थी। खास बात यह है कि बारिश के मौसम में जंगल को अपनी ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाले नक्सलियों की रणनीति इस बार फेल हो गई है। सुरक्षाबलों की दखल जंगलों के अंदर तक हो जाने की वजह से नक्सली अपने लिए महफूज ठिकाना तक नहीं खोज पा रहे हैं।
पुलिस को ऑपरेशन मानसून के तहत 1 महीने के अंदर ही सुकमा और दंतेवाड़ा इन दो जिलों में बड़ी कामयाबी मिली है। 15 जून से शुरू किए गए अभियान के तहत जवानों ने करीब 20 लाख रुपए के 4 नक्सलियों को ढेर किया है। इन सभी नक्सलियों पर इन दोनों जिलों के थानों में कई मामले भी दर्ज रहे हैं। हालांकि, ऑपरेशन मानसून के दौरान बीजापुर जिले में सर्चिंग से लौटते समय एक जवान बरसाती नाले में बह गया था। वहीं एक नक्सली की भी उसी नाले में बहने से मौत हुई है।

डीजीपी खुद लीड कर रहे हैं नक्सल ऑपरेशन :- डीजीपी अशोक जुनेजा खुद नक्सल ऑपरेशन को देख रहे हैं। एडीजी विवेकानंद सिन्हा भी ऑपरेशन को सीधे मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बारिश के दौरान जंगलों में स्मॉल ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इसमें तकनीक की मदद ली जा रही है। जहां भी नक्सलियों की उपस्थित मिल रही है। जून-जुलाई में कई बड़े नक्सलियों ने सरेंडर भी किया है।

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