November 18, 2024

ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़: अपोलो हॉस्पिटल की सीनियर महिला डॉक्टर समेत 7 आरोपी गिरफ्तार, विदेश से जुड़े हैं तार

नईदिल्ली। किसी के घर में या जान-पहचान में अगर कोई किडनी का मरीज रहा हो तो उसे बखूबी अंदाजा होगा कि किडनी की कीमत क्या होती है. किडनी खराब हो जाए, किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत हो और किडनी ना मिल रही हो तो एक-एक दिन, एक-एक घंटा, एक-एक मिनट मानो दशकों जैसा मालूम होता है. लोग किडनी ट्रांसप्लांट की हर संभव कोशिश करते हैं. जिन्हें पैसों की दिक्कत नहीं है उन्हें कई बार डोनर नहीं मिलता और जिन्हें डोनर मिल जाता है उनके पास अक्सर पैसे नहीं होते. किडनी ट्रांसप्लांट वो जरूरी चीज़ है जिसके जरिए किडनी के मरीजों की जान बचाई जाती है. लेकिन इसी किडनी ट्रांसप्लांट को कुछ लोग किडनी रैकेट में बदल देते हैं. किडनी रैकेट यानी जब गिरोहबंद होकर लोगों को बिना बताए या फिर ऊंची कीमत देकर उनकी किडनी निकाल ली जाती है और उसे बड़ी कीमत पर बेच दिया जाता है.

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल की एक सीनियर महिला डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि कथित तौर पर महिला डॉक्टर के तार बांग्लादेश व भारत में ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट से जुड़ा है। आरोपियों से पूछताछ चल रही है। उधर, अपोलो हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से भी इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया सामने आई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 50 साल की महिला डॉक्टर विजया कुमारी पर आरोप है कि वो इस गिरोह में शामिल एकमात्र डॉक्टर थी। इससे पहले उन्होंने 2021 से 2023 तक नोएडा के एक प्राइवेट अस्पताल में करीब 15-16 ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए थे। इस रैकेट में शामिल लोगों के तार बांग्लादेश से जुड़े थे। वे हर ट्रांसप्लांट के लिए डोनर से 5 लाख रुपये में किडनी खरीदते और रीसिवर से 25-30 लाख रुपये लेते थे। डोनर और रिसीवर दोनों ही बांग्लादेश से थे। इसमें डॉक्टर विजया कुमारी और उनके सहयोगियों के एक गैंग की कथित भागीदारी थी।

बनाए गए थे फर्जी दस्तावेज
पुलिस का कहना है कि डॉक्टर विजया कुमारी के अलावा पिछले महीने तीन बांग्लादेशी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के नाम पर कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज बनाए गए थे। जिसमें दावा किया गया था कि अंग दान करने वाले और अंग लेने वाले (दोनों बांग्लादेशी) के बीच संबंध है। पुलिस इन जाली दस्तावेजों को जब्त कर लिया है।

अपोलो हॉस्पिटल ने दी यह प्रतिक्रिया
मीडिया सूत्रों की मानें तो विजया कुमारी सीनियर कंसल्टेंट और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन हैं। करीब 15 साल पहले उन्होंने दिल्ली के निजी अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के तौर पर काम शुरू किया था। नोएडा के अपोलो हॉस्पिटल के साथ वो विजिटिंग कंसल्टेंट के रूप में काम कर रही थीं। अपोलो अस्पताल के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक सुनील बालियान ने कहा है कि विजया कुमारी द्वारा लाए गए मरीजों का ट्रांसप्लांट किया गया था। बालियान ने कहा है कि उन्होंने पिछले 3 महीनों में एक सर्जरी की थी।

अस्पताल से निलंबित है महिला डॉक्टर
पुलिस की कार्रवाई के बाद डॉक्टर विजया कुमारी को निलंबित कर दिया। अपोलो के प्रवक्ता ने कहा कि क्राइम ब्रांच ने पहले भी जांच के तहत कुछ जानकारी मांगी थी, जो विधिवत उपलब्ध कराई गई थी। उन्होंने बताया कि ये कार्रवाई दूसरे अस्पताल (नोएडा स्थित) में की गई प्रक्रियाओं से संबंधित है, प्रथम दृष्टया इसका इस अस्पताल से कोई लेना-देना नहीं है।

बांग्लादेश से बुलाया जाता था डोनर्स को
वर्तमान मामले में बांग्लादेश के रहने वाले 29 वर्षीय रसेल अपने साथियों मोहम्मद सुमन मियां अपने दोस्तों के साथ संभावित डोनर्स को बांग्लादेश से दिल्ली बुलाते थे। डोनर 4 से 5 लाख रुपये देकर अपनी किडनी डोनेट करते थे। वहीं दूसरी तरफ किडनी लेने वालों से 25 से 30 लाख रुपये लिए जाते थे। रसेल के सहयोगियों में बांग्लादेश के रहने वाले मोहम्मद सुमन मियां और इफ्ति के अलावा त्रिपुरा के रहने वाले रतीश पाल का भी नाम शामिल है। पुलिस ने इफ्ती को छोड़कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

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