November 22, 2024

प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला: कोर्ट ने दी जांच की अनुमति; नार्को टेस्ट में रमन,अमर,बृजमोहन समेत कई नेताओं के थे नाम, CM बघेल बोले-दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए

रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले मामले की जांच की अनुमति जिला न्यायालय ने दी है. सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा कि जिला न्यायालय ने मंगलवार को जनता की गाढ़ी‌ कमाई के पैसों के गबन के प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच की अनुमति दे दी है. बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए हैं. भ्रष्टाचार उजागर होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए.

सीएम भूपेश बघेल ने कहा, नार्को टेस्ट में प्रमुख अभियुक्तों में से एक उमेश सिन्हा ने बताया‌ था कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल व रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ों रुपए दिए थे.

जानिए क्‍या है इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटला
रायपुर स्थित सहकारी बैंक इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में 2006 में यह घोटला सामने आया था. करीब 28 करोड़ के इस घोटाले में बैंक मैनेजर सहित संचालक मंडल के सदस्‍यों जिनमें ज्‍यादार महिलाएं शामिल थी, उन्‍हें आरोप बनाया गया था. इसमें तत्‍कालीन सरकार के मंत्रियों और कुछ अफसरों का भी नाम आया था.

सत्ता में आते ही कांग्रेस ने फिर से जांच की मांगी थी अनुमति
सूत्रों के अनुसार पिछली सरकार के कार्यकाल में जब पुलिस ने इस मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश की तो उसमें नार्को टेस्‍ट का जिक्र ही नहीं किया था, जबकि इस टेस्‍ट में कई बड़े नामों का जिक्र था. इसी वजह से राज्‍य में सत्‍ता बदलने के बाद सरकार ने मामले की फिर से जांच करने की कोर्ट से अनुमति मांगी थी.

भूपेश बघेल ने सार्वजनिक किया था नार्को टेस्ट की सीडी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने वर्ष 2013 में बैंक के तत्कालीन मैनेजर के नार्को टेस्ट की सीडी को सार्वजनिक किया था. सीडी में मैनेजर ने डॉ. रमन सिंह, अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत और रामविचार नेताम को एक-एक करोड़ रुपये बांटने का दावा किया था. इस खुलासे के बाद बघेल ने मुख्यमंत्री सहित पूरे मंत्री परिषद को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की मांग की थी.

दूसरी ओर उस समय सरकार के प्रवक्ता बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि इस सीडी को न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश ही नहीं किया गया है, क्योंकि जांच के दौरान बयानों में विरोधाभास मिला था, जबकि कांग्रेस नेता ने पत्रवार्ता में बताया था कि बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा की सीडी देखने पर साफ था कि उसने बैंक के चेयरमैन रीता तिवारी के आदेश पर मुख्यमंत्री सहित चार कैबिनेट मंत्रियों को एक-एक करोड़ रुपये बांटे थे. यही नहीं, दिवंगत डीजीपी ओपी राठौर को भी एक करोड़ रुपये दिए गए थे. मैनेजर ने खुद एक रुपया भी नहीं लिया था. मामला खुलने के बाद चेयरमैन रीता तिवारी आनन फानन में विदेश निकल गई थी.

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