मणिपुर मामले पर सख्त हुआ SC, CJI ने पूछा- पुलिसवालों पर क्या एक्शन हुआ?
नईदिल्ली। मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फिर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस दौरान स्थानीय पुलिस पर सवाल खड़े किए और कहा कि एफआईआर को दर्ज करने में काफी देरी हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि हालात पूरी तरह से बेकाबू हैं और वहां कोई कानून का राज नहीं है. सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि हम स्थिति स्पष्ट होने पर आदेश देंगे. अभी स्थिति साफ नहीं है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पुलिस को शुक्रवार को 2 बजे तलब किया है.
सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा है कि हमने इस मामले पर स्टेटस रिपोर्ट तैयार की है, ये एक संवेदनशील मामला है. 3 मई के बाद अभी तक कुल 6532 एफआईआर दर्ज हुई हैं, इनमें 11 एफआईआर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा-यौन उत्पीड़न को लेकर हैं. हिंसा के दौरान जो भी शव बरामद हुए हैं, उन सभी का पोस्टमॉर्टम हुआ है.
दो कुकी महिलाओं के साथ हुए बलात्कार के मामले में एसजी ने जानकारी दी है कि अभी जांच चल रही है, कुल 37 गवाहों से पूछताछ हुई है. जल्द एक्शन के लिए एफआईआर को सीबीआई के पास ट्रांसफर किया गया है. सुनवाई के दौरान CJI ने पूछा कि इस मामले में एफआईआर कब हुई थी.
सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि महिला के बयान में कहा गया है कि उसे पुलिस ने भीड़ को सौंप दिया था, क्या पुलिस ने कोई गिरफ़्तारी की है? क्या इतने महीनों में डीजीपी ने यह जानने की परवाह की? क्या उन्होंने पुलिस अधिकारियों से पूछताछ की?
इसपर एसजी तुषार मेहता ने जवाब दिया कि 16 मई को जीरो एफआईआर हुई थी, बाद में रेगुलर एफआईआर दर्ज की गई. अभी तक 7 लोगों को अरेस्ट किया गया है, इनमें एक नाबालिग है. एसजी का यह भी कहना है कि घटना और एफआईआर के क्रम में अंतर सामने आया है.
दो महीने में क्या हुआ, हालात बेकाबू- CJI
चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्य में दो महीने से स्थिति इतनी खराब थी कि एफआईआर भी नहीं हो सकती थी. वहां कोई कानून नहीं था, आप एफआईआर नहीं दर्ज कर सकते थे और कोई गिरफ्तार नहीं हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो महीने में क्या हुआ है, हालात बेकाबू हैं और पूरी तरह से ब्रेकडाउन है. चीफ जस्टिस ने कहा कि वीडियो में जो महिलाएं हैं, उनका बयान है कि पुलिस ने ही उन्हें भीड़ के हवाले किया. उन्होंने पूछा कि पुलिसवालों पर क्या एक्शन हुआ? एसजी ने इसपर जवाब दिया कि ये मामला सीबीआई को दिया गया है.
कोर्ट ने कहा- सबूत अभी भी अपर्याप्त
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस स्तर पर अदालत के समक्ष प्रस्तुत सामग्री अपर्याप्त है कि 6523 एफआईआर का उन अपराधों की प्रकृति से कोई संबंध नहीं है. राज्य को अदालत को सूचित करना चाहिए कि कितनी एफआईआर संबंधित हैं, जो हत्या, बलात्कार, आगजनी, गंभीर चोट, संपत्ति के नुकसान आदि से संबंधित है.
स्थिति रिपोर्ट में एक विवरण तैयार किया जाएगा..जिसमें यह बताया जाएगा 1. घटना की तारीख 2. जीरो एफआईआर दर्ज करने की तारीख 3. नियमित एफआईआर दर्ज करने की तारीख 4. वह तारीख जिस दिन गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं 5. दिनांक जिस दिन 164 के बयान दर्ज किए गए 6. गिरफ़्तारी की तारीख
आगजनी के 5000 से ज्यादा मामले
चीफ जस्टिस ने आदेश लिखाना शुरू किया, जिसमें दर्ज किया गया कि मणिपुर राज्य की ओर से दायर की गई यह रिपोर्ट बताती है कि 25 जुलाई 2023 तक 6496 एफआईआर दर्ज की गई हैं. स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में 150 लोगों ने जान गंवाई है, जबकि 502 लोग घायल हुए हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि आगजनी के 5101 मामले सामने आए हैं. एफआईआर दर्ज तक 252 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 12 हजार से ज्यादा लोगों को निवारक उपायों के तहत गिरफ्तार किया गया.
आदेश में बताया गया कि 11 एफआईआर में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामले शामिल हैं. ये वेरिफाई किए जाने का विषय है. स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 11 एफआईआर के सिलसिले में 7 गिरफ्तारियां की गई हैं. एसजी का कहना है कि 2 एफआईआर के अलावा, राज्य सभी 11 एफआईआर को सीबीआई को स्थानांतरित करने के लिए तैयार और इच्छुक है.