November 16, 2024

निजी होंगे 4 सरकारी बैंक : BOI, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक प्राइवेट होंगे..

मुंबई। केंद्र सरकार जल्द ही 4 सरकारी बैंक को निजी बना सकती है। भारत सरकार ने 4 बैंकों को निजी बनाने के लिए चुन लिया है। इनमें तीन बैंक छोटे और एक बड़ा बैंक है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक छोटे हैं, जबकि बैंक ऑफ इंडिया बड़ा बैंक है। 

सरकार देश में कुछ बड़े सरकारी बैंकों को ही चलाने के पक्ष में है। जैसे- भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा और कैनरा बैंक। पहले कुल 23 सरकारी बैंक थे। इनमें से कई छोटे बैंक को बड़े बैंक में पहले ही मर्ज किया जा चुका है। सरकार ने इस बार बजट में दो बैंकों में हिस्सा बेचने की बात कही थी। हालांकि, चार बैंकों के नाम सामने आए हैं।

अकाउंट होल्डर्स का जो भी पैसा इन 4 बैंकों में जमा है, उस पर कोई खतरा नहीं है। खाता रखने वालों को फायदा ये होगा कि प्राइवेटाइजेशन हो जाने के बाद उन्हें डिपॉजिट्स, लोन जैसी बैंकिंग सर्विसेस पहले के मुकाबले बेहतर तरीके से मिल सकती हैं। एक जोखिम यह रहेगा कि कुछ मामलों में उन्हें ज्यादा चार्ज देना होगा। उदाहरण के लिए सरकारी बैंकों के बचत खातों में अभी एक हजार रुपए का मिनिमम बैलेंस रखना होता है। कुछ प्राइवेट बैंकों में मिनिमम बैलेंस की जरूरी रकम बढ़कर 10 हजार रुपए हो जाती है।

सत्ता में आने वाले राजनीतिक दल सरकारी बैंकों को निजी बैंक बनाने से बचते रहे हैं, क्योंकि इससे लाखों कर्मचारियों की नौकरियों पर भी खतरा रहता है। हालांकि, मौजूदा सरकार पहले ही कह चुकी है कि बैंकों को मर्ज करने या प्राइवेटाइजेशन करने की स्थिति में कर्मचारियों की नौकरी नहीं जाएगी। बैंक ऑफ इंडिया के पास 50 हजार कर्मचारी हैं, जबकि सेंट्रल बैंक में 33 हजार कर्मचारी हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक में 26 हजार और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 13 हजार कर्मचारी हैं। इस तरह कुल मिलाकर एक लाख से ज्यादा कर्मचारी इन चारों सरकारी बैंकों में हैं।

सरकार बड़े पैमाने पर बैंकों में सुधार करने की योजना बना रही है। इसके तहत वह बड़े सरकारी बैंकों में अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी बनाए रखेगी, ताकि उसका कंट्रोल बना रहे। सरकार इन बैंकों को नॉन परफॉर्मिंग असेट्स यानी NPA से भी निकालना चाहती है। अगले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ रुपए डाले जाएंगे, ताकि ये बैंकिंग रेगुलेटर के नियमों को पूरा कर सकें।

प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया शुरू होने में 5-6 महीने लगेंगे। 4 में से 2 बैंकों को इसी फाइनेंशियल ईयर में प्राइवेटाइजेशन के लिए चुन लिया जाएगा। सरकार को डर है कि बैंकों को बेचने की स्थिति में बैंक यूनियन विरोध पर उतर सकती हैं, इसलिए वह बारी-बारी से इन्हें बेचने की कोशिश करेगी। बैंक ऑफ महाराष्ट्र में कम कर्मचारी हैं, इसलिए इसे प्राइवेट बनाने में आसानी रहेगी।

देश में बैंक ऑफ इंडिया छठे नंबर का बैंक है, जबकि सातवें नंबर पर सेंट्रल बैंक है। इनके बाद इंडियन ओवरसीज और बैंक ऑफ महाराष्ट्र का नंबर आता है। बैंक ऑफ इंडिया का मार्केट कैपिटलाइजेशन 19 हजार 268 करोड़ रुपए है, जबकि इंडियन ओवरसीज बैंक का मार्केट कैप 18 हजार करोड़, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का 10 हजार 443 करोड़ और सेंट्रल बैंक का 8 हजार 190 करोड़ रुपए है।

  • बैंक ऑफ महाराष्ट्र 1840 में शुरू हुआ था। उस समय इसका नाम बैंक ऑफ बॉम्बे था। यह महाराष्ट्र का पहला कमर्शियल बैंक था। इसकी 1874 शाखाएं और 1.5 करोड़ ग्राहक हैं।
  • बैंक ऑफ इंडिया 7 सितंबर 1906 को बना था। यह एक प्राइवेट बैंक था। 1969 में 13 अन्य बैंकों को इसके साथ मिलाकर इसे सरकारी बैंक बनाया गया। 50 कर्मचारियों के साथ यह बैंक शुरू हुआ था। इसकी कुल 5,089 शाखाएं हैं।
  • सेंट्रल बैंक 1911 में बना था। इसकी कुल 4,969 शाखाएं हैं।
  • इंडियन ओवरसीज बैंक की स्थापना 10 फरवरी 1937 को हुई थी। इसकी कुल 3800 शाखाएं हैं।
error: Content is protected !!