APJ Abdul Kalam : राष्ट्रपति भवन का किराया चुकाया और इफ्तार पार्टी का पैसा अनाथालय में बांटा, पढ़ें मिसाइल मैन के जीवन के 5 दिलचस्प किस्से…
नई दिल्ली। आज देश के 11वें राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि है. 15 अक्तूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्में कलाम एक बेहतरीन वैज्ञानिक और राष्ट्रपति होने के साथ सादगी से जीवन जीने के लिए भी जाने गए. उनका ज्यादातर जीवन नीली शर्ट और स्पोर्ट्स शूज पहनते हुए बीता. 27 जुलाई 2015 वो शिलॉन्ग में IIM के कार्यक्रम को सम्बोधित करने पहुंचे थे. प्रोग्राम में उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करने के लिए भाषण देना शुरू ही किया था कि अचानक बेहोश हो गए. उन्हें यहां के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टर्स उन्हें नहीं बचा पाए.
उनके जीवन के कुछ ऐसे किस्से हैं जो उनकी सादगी, मानवता और ईमानदारी के उदाहरण पेश करते हैं. आज उनकी पुण्यतिथि है, इस मौके पर जानिए उनकी जीवन के कुछ दिलचस्प किस्से
साढ़े तीन लाख रुपये का चेक काटकर राष्ट्रपति भवन का किराया चुकाया
राष्ट्रपति भवन से जुड़ा एक किस्सा उनकी सादगी और ईमानदारी का उदाहरण देता है. देश के 11वें राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम ने 2006 में परिवार को राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया. परिवार के 52 लोग दिल्ली आए और 8 दिन तक वो यहीं रहे.
उनके जाने के बाद कलाम में परिजनों के रुकने से लेकर उनके खाने तक का खर्च अपनी जेब से दिया. इतना ही नहीं परिवार के लोग दिल्ली के बाद अजमेर शरीर भी गए. इन सबका कुल खर्च तीन लाख बावन हजार रुपये हुआ जिसे कलाम में चेक के जरिए प्रेसिडेंट हाउस ऑफिस को भेजा.
राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी के पैसा अनाथालय में बांटा
बीबीसी की रिपोर्ट में कलाम के सचिव रहे पीएम नायर एक दिलचस्प किस्से का जिक्र किया है. दरअसल, राष्ट्रपति भवन में हर साल इफ्तार पार्टी आयोजित होने का चलन रहा है. वह कहते हैं, एक बार उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया. कहा, इफ्तार पार्टी का आयोजित क्यों होना चाहिए? इस पर कितना खर्च किया जाता है? उन्हें जानकारी दी गई कि इस पर ढाई लाख रुपये खर्च होते हैं. इस पर उन्होंने कहा, ये अनाथालय को दीजिए ताकि ये पैसा बर्बाद न हो.ऐसा ही किया गया. इफ्तार पार्टी की राशि से 28 अनाथालयों में बच्चों को आटा, दाल, कंबल और स्वेटर बांटा गया. उस राशि के साथ उन्होंने एक लाख रुपये और अपनी तरफ से भी दिए.
जब मुगल गार्डन के मोर का दर्द देखा न गया और उसके ट्यूमर का इलाज कराया
एक बार राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में टहलने के दौरान उन्होंने एक मोर दिखा. वह मुंह नहीं खोल पा रहा था. यह देखने के बाद उन्होंने तुरंत जानवरों के डॉक्टर को बुलाया और मोर की जांच करने को कहा. जांच में सामने आया कि मोर के मुंह में ट्यूमर है. इसलिए वो मुंह नहीं खोल पा रहा था. उन्होंने उसका इलाज कराया. कई दिन ICU में रखने के बाद जब वह पूरी तरह से ठीक हो गया तो मुगल गार्डन में छोड़ दिया गया.
तंजानिया के बच्चों की मुफ्त हार्ट सर्जरी कराई
लेखक अरुण तिवारी ने मिसाइल मैन की जीवनी लिखी है. जीवनी में उस किस्से का जिक्र भी है जब कलाम ने विदेशी बच्चों की हार्ट सर्जरी कराई. साल 2000 में कलाम तनजानिया देश की यात्रा पर गए थे. यात्रा के दौरान उनको जानकारी मिली कि यहां कई ऐसे बच्चे हैं जो जन्मजात हृदय रोगों से जूझ रहे हैं. इलाज न करवा पाने के लिए मर रहे हैं. यात्रा से लौटने के बाद उन्होंने उन बच्चों और मांओं को हैदराबाद लाने को कहा. एयर इंडिया की फ्लाइट से वो सभी हैदराबाद लाए गए. सभी बच्चों की हार्ट सर्जरी हुई, उनके और मांओं के रहने का इंतजाम किया गया. सफल इलाज के बाद उन सभी को तंजानिया वापस भेजा गया.
ठंड में सिकुड़ रहे गार्ड के लिए हीटर लगवाया
एक बार राष्ट्रपति भवन में टहने के दौरान उन्होंने देखा कि सुरक्षा गार्ड के केबिन में मौजूद गार्ड को ठंडी लग रही है. कंपकंपी छूट रही है. यह देखने के बाद उन्होंने तुरंत अधिकारियों को फोन लगाया गार्ड केबिन में हीटर लगवाया. इतना ही नहीं, गर्मियों में गार्ड को दिक्कत न हो, इसलिए पंखे की व्यवस्था भी कराई.
बचपन में रहा संघर्ष
डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन और मां का नाम आशियम्मा था। उनका बचपन काफी संघर्षों में बीता और उन्हें आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए अखबार भी बांटना पड़ा।
उनकी बचपन की पढ़ाई रामेश्वर में ही हुई। इसके बाद उन्होंने 1954 में त्रिची के सेंट जोसेफ कॉलेज से साइंस की डिग्री हासिल की। 1957 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। डॉ कलाम ने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में भी काम किया। वह रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे।
पायलट बनना चाहते थे कलाम
कलाम बचपन में पायलट बनना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। फिर वह वैज्ञानिक बने और 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति रहे। विज्ञान में उनकी गहरी रुचि थी। वह हमेशा छात्रों को प्रेरित करते थे और बड़े सपने देखने के लिए कहते थे। डॉक्टर कलाम को 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।