November 15, 2024

CG : जहर से जन्नत का सफर; आखिर नशे के लिए कोबरा और करैत से कौन कटवाता है भाई!, आप भी यही सोच रहे हैं?

सांप के जहर से नशे का आदि इंसान अलग दुनिया में पहुंच जाता है। यूट्यूबर एल्विश यादव की गिरफ्तारी से दिल्ली-एनसीआर की हाई प्रोफाइल पार्टियों की हकीकत फिर से उजागर हो गई है। खास बात यह है कि लाख प्रयास के बाद भी पुलिस या नार्कोटिक्स डिपार्टमेंट को अब तक किसी कार्टेल तक पहुंचने में सफलता हाथ नहीं लगी है। पुलिस की जांच अब कोबरा और करैत की बहुलता वाले इलाके से लिंक ढूंढने में लगी हैं। उनमें से एक इलाका छत्तीसगढ़ में नागलोक के नाम से देशभर में मशहूर जशपुर का हैं।

रायपुर/नई दिल्ली। चरम सुख, बेकाबू यौन इच्छा, मदहोशी और परमानंद की तलाश या कहें कोकीन से कई मायनों में बेहतर अनुभव। ‘स्नैकबाइट’ यानी ‘ड्रैगन ड्रॉप्स’ या ‘K72’ से नशे का आनंद लेने वालों से बात कीजिए, उनके वर्णन का कुछ यही अंदाज मिलेगा। यूं तो दिल्ली-एनसीआर में पार्टी के लिए ऐसे मादक पदार्थों की कोई कमी नहीं होती है लेकिन यूट्यूबर एल्विश यादव की गिरफ्तारी से इसकी चर्चा तेज हो गई। दूसरी तरफ पुलिस की जांच K72 की उपलब्धता पर जाकर टिक गई हैं। आखिर इन रईसजादों की पार्टी में यह आती कहाँ से हैं। सूत्रों की माने तो इस तरह की पार्टी राजधानी रायपुर, नागपुर, मुंबई सहित कुछ और जगहों पर आयोजीत होने की जानकारी मिल रही हैं। बड़ा मामला होने के चलते पुलिस काफी सावधानी से जांच में आगे बढ़ रही हैं।

सोशल मीडिया पर चर्चा- आखिर कहां से मिलता जहर
इसकी उपलब्धता और असर के बारे में सोशल मीडिया पर बढ़ती बातचीत के कारण पुलिस सावधान है। उधर, नशीली दवाओं के कारोबार पर नजर रखने वाली एजेंसियां भी काफी सक्रिय रहती हैं। वो सांप पकड़ने वालों और इसके जहर का कारोबार करने वालों पर पैनी नजर रखते हैं, बावजूद इसके वो संगठित गैंग या कार्टेल तक पहुंच नहीं पाते हैं। वो अब तक पता नहीं कर पाए कि आखिर कौन सा गैंग या कार्टेल सांपों के जहर के कारोबार में जुटा है। उनका कहना है कि उन्हें केवल एक पार्टी में सांप के जहर की बिक्री के अकेले मामले का पता चला है। फिर भी इनपुट के आधार पर पुलिस लिंक की तलाश में लगी हुई हैं।

कुछ साल पहले पता चला था, कुछ तो हो रहा है
अधिकारियों ने कहा कि कुछ साल पहले ऐसे मामले सामने आए थे जहां उन्हें एक्सटैसी और अन्य ड्रग्स के कारोबार में लिप्त पेडलर्स के फोन में फरीदाबाद, ग्वालपहाड़ी और पश्चिमी यूपी सहित छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों के कई सांप पकड़ने वालों के नंबर मिले थे। एक सूत्र ने कहा, ‘लेकिन हमें अभी तक इस व्यापार में लगे किसी संगठित कार्टेल का पता नहीं चला है।’

करीब एक दशक से मार्केट में है के ड्रग
मादक पदार्थों (NDPS ) से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘K ड्रग लगभग एक दशक से बाजार में है और इसकी मांग बढ़ रही है, खासकर वेलेंटाइन डे के आसपास। नशेड़ी पहले वोदका या जिन में एक पाउडर मिलाते थे और अब वो धीरे-धीरे सीधे सांप के जहर तक पहुंच गए।’ पुलिस ने कहा कि बड़े पैमाने पर वितरण के लिए कार्टेल द्वारा दवा को नहीं अपनाने के कई कारण थे। एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘ग्राहक आधार बहुत विशिष्ट है और कीमत अधिक है – कोकीन से कहीं अधिक महंगा – जिससे सभी आयु समूहों के लिए इस दवा को प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।’

आखिर जहर के खरीदार कौन?
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि नशे के लिए स्टूडेंट्स के बीच कई तरह के सिंथेटिक ड्रग्स और केमिकल्स का प्रचलन है, लेकिन वो K72/76 भी ले रहे हैं, इसकी आशंका बहुत कम है। पेडलर्स से पूछताछ से जानकारियों के आधार पर लगता है कि K72/76 की सबसे ज्यादा मांग वर्किंग प्रफेशनल और बिजनसमेन के बीच है। पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ऊंची कीमत के कारण इसे बहुत खास लोग ही खरीद पाते हैं। एक हिट की कीमत 35 से 50 हजार रुपये के बीच होती है। ऐसे मामले सामने आए हैं जहां नशेड़ी को यह कम कीमत में मिला है, लेकिन वह जहर आसानी से उपलब्ध सांपों के रहे हैं। कोबरा और करैत के जहर की बहुत मांग है और इन्हें खरीद पाना बहुत कठिन है।’

पुलिस ने कहा कि K72/76 लेने वाले ज्यादातर लोग वो हैं जो कॉलेज टाइम या उससे भी पहले से ही नशे के आदि हो गए। सूत्र ने कहा, ‘वैसे तो रेव या पार्टियों के दौरान कई बार लोग संगी-साथी के दबाव में इसका यूज कर लेते हैं, लेकिन इसका यूज करने वाले अधिकरत लोग वो होते हैं जिन्हें यूजुअल ड्रग्स से बहुत ज्यादा नशा नहीं चढ़ता है। इसलिए, नए स्तर के आनंद की तलाश उन्हें सांप के जहर तक पहुंचा देती है।’

भारत कैसे पहुंचा K ड्रग?
K72/76 की एक खास बात यह है कि यह शरीर से बाहर का परमानंद दिलाता है। इसी वजह से यह 2010 और 2012 के बीच बैंकॉक और इबीसा में डिस्को में बहुत लोकप्रिय हो गया। उस समय ‘न्यू लव ड्रग’ के रूप में इसका प्रचार किया गया था। कुछ ही समय में, इसने भारत में भी अपना रास्ता खोज लिया। पहले-पहल संभवतः विदेशी पर्यटक ही इसे हमारे देश में लेकर आया करते थे।

error: Content is protected !!