केंद्र की कई नीतियों के विरोध में श्रमिक संगठनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आज ट्रेड यूनियनों की देशभर में हड़ताल है. बिहार के पटना में भी इसका असर दिख रहा है. यूनियन के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार सुबह पटना के मसौढ़ी में पलामू और जनशताब्दी एक्सप्रेस रोककर विरोध प्रदर्शन किया.
मसौढ़ी के तारेगना रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों ने ट्रेन रोककर घंटों विरोध प्रदर्शन किया. मांगों को लेकर आंदोलनकारी सुबह से ही सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
आंदोलनकारियों ने कहा कि वे सरकार से समान काम के लिए समान वेतन लागू करने, अनिवार्य सेवा निवृत्ति आदेश रद्द करने, एनपीएस हटाने और फुटपाथी दुकानदारों को अस्थाई सरकारी दुकान की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं. हमारी मांग है कि रोजगार की गारंटी मिले, महंगाई पर रोक लगे, श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधन में बदलाव किया जाए.
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किसान, मजदूर और छात्र विरोधी नीति लेकर आई है. नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हम कोरोना की चुनौती को अवसर में बदलेंगे. उन्होंने इसे कंपनी के मालिकों और पूंजीपतियों के लिए अवसर में बदल दिया. काम के घंटे को 8 की जगह 12 कर दिया. 50 साल की उम्र में ही लोगों को रिटायर कर दिया जाएगा. देश की संपत्ति को बेचा जा रहा है. हमलोग इसके खिलाफ विरोध करने लिए सड़क पर उतरे हैं.”– कमलेश कुमार, जिला सचिव, ऐक्टू, मसौढ़ी
हड़ताल में भाग लेने वाले 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्यॉलयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और युनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) हैं.
किसान संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने भी इस आम हड़ताल को अपना समर्थन देने की घोषणा की है. समिति के सदस्य ग्रामीण इलाकों में लोगों के बीच हड़ताल के समर्थन का आह्वान करेंगे.
यह हड़ताल केंद्र सरकार की कई नीतियों समेत विशेष तौर पर नये किसान और श्रम कानूनों के विरोध के लिए बुलायी गयी है.
घरेलू सहायक, निर्माण श्रमिक, बीड़ी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वालों, कृषि मजदूर, ग्रामीण और शहरी इलाकों में स्वरोजगार करने वालों ने भी ‘चक्का जाम’ में शामिल होने की घोषणा की है. कई राज्यों में ऑटोरिक्शा और टैक्सी ड्राइवरों ने भी हड़ताल में शामिल होने के लिए कहा है. रेलवे और रक्षा कर्मचारियों के संघों ने भी हड़ताल को अपना समर्थन जताया है.