November 30, 2024

Rice Price : उफ्फ महंगाई! पहले टमाटर-दाल की कीमतों ने जेब में आग लगाई, अब चावल की बारी आई

नईदिल्ली। देश में खाने-पीने की वस्तुओं के दाम इस कदर बढ़े हैं कि आम आदमी का जीना दुश्वार हो गया है. क्या तो टमाटर-नींबू और क्या ही दाल सबकी कीमतें आसमान छू रही हैं. अब चावल का नंबर है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें 11 साल की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं और अब ये भारत में भी रंग बदल सकती हैं. ऐसे में कहीं ये ना हो कि आपको ‘दाल-भात’ के लाले पड़ जाएं ?

दरअसल इस साल अल-नीनो की स्थिति बनने से भारत में बरसने वाले मानसून पर संकट है. इसका असर खेती-किसानी पर पड़ रहा है. इससे चावल की पैदावार प्रभावित होने का अनुमान है. भारत दुनिया के बड़े चावल एक्सपोर्टर में से एक है, और अन्य सामानों के साथ इस तरह चावल के दाम बढ़ना एशिया और अफ्रीका के गरीब तबके की थाली से चावल गायब कराने या उन्हें ज्यादा पैसा देने पर मजबूर कर सकता है.

भारत करता है चावल एक्सपोर्ट
भारत दुनिया के चावल एक्सपोर्ट में 40 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी रखता है. साल 2022 में भारत ने 5.6 करोड़ टन चावल का निर्यात किया, लेकिन इस साल सप्लाई कम रहने से इनके दाम बढ़ रहे हैं. ये रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर में छाई महंगाई को थोड़ी और आंच दे सकता है.

कभी भारत दुनिया में सबसे सस्ता चावल एक्सपोर्टर था, ये कहना है राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रसिडेंट बी. वी. कृष्ण राव का. एजेंसी की खबर के मुताबिक भारत में चावल के दाम बढ़ने की वजह सरकार का नया मिनिमम सपोर्ट प्राइस है, इसकी देखादेखी चावल के सप्लायर्स भी दाम बढ़ा रहे हैं.

3 अरब लोगों का भोजन है चावल
दुनिया में 3 अरब से ज्यादा लोगों के लिए चावल मुख्य भोजन है. इसकी 90 प्रतिशत से ज्यादा पैदावार एशिया में होती है. चावल की खेती में बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है और अल-नीनो की वजह से इस साल एशिया और अफ्रीका क्षेत्र में मानसून की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.

जबकि इस मौसमी परिस्थिति का असर चावल की कीमतों पर पड़े, उससे पहले ही ग्लोबल मार्केट में इसके भाव 11 साल के उच्च स्तर पर पहुंचे हुए हैं. भारत से एक्सपोर्ट होने वाले चावल का भाव 9 प्रतिशत तक चढ़ चुका है. ये 5 साल का हाई लेवल है, जबकि नए सीजन में सरकार ने चावल किसानों को 7 प्रतिशत अधिक की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात कही है. इससे घरेलू मार्केट में भी चावल महंगा होने के आसार हैं.

नवंबर में नीचे आ सकते हैं चावल के दाम
चावल के दामों में नवंबर के आसपास कमी आने की संभावना है. भारत में नवंबर के महीने में चावल की दूसरी फसल कटती है. तब अच्छी पैदावार होने से दाम नीचे आ सकते हैं. सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि गर्मियों के मौसम में चावल की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 26 प्रतिशत कम रही है. वहीं इस साल मानसूनी बारिश भी 8 प्रतिशत कम है.

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