महिलाओं को कोरोना से बचाएंगी ये खास साड़ियां, सरकार ने किया लॉन्च
रायपुर/भोपाल । देश में कोरोना की रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है और कोरोना से बचाव के लिए अब तक डॉक्टर्स सिर्फ इम्युनिटी बढ़ाने की बात कर रहे हैं। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में जहां सरकार काढ़ा समेत आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करने की बात कर रही है। वहीं प्रदेशवासियों के लिए इम्युनिटी बढ़ाने का एक और विकल्प सामने आया, जिसे सुनकर आपको थोड़ा अटपटा ज़रूर लगेगा, लेकिन ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है। एमपी के मार्केट में अब इम्युनिटी बूस्टर साड़ियां लॉन्च की गई हैं, जो महिलाओं को वायरस और बैक्टेरिया से बचाने में मदद करेंगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश में कोरोना से बचने के लिए इसी तरह का इम्युनिटी बूस्टर कार्ड लॉन्च किया गया था।
मध्य प्रदेश में हर्बल साडिय़ां और इम्युनिटी बूस्टर साड़ियां तैयार की जा रही हैं, जिसे आयुर्वस्त्र का नाम दिया गया है। इन साड़ियों की खास बात है इनको तैयार करने का तरीका. इसे बनाने के लिए कई तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। मुख्य तौर पर लौंग, बड़ी इलायची, छोटी इलायची, चक्रफूल, जावित्री, दालचीनी, काली मिर्च, शाही जीरा, तेज पत्ता ये मसाले इस्तेमाल में लाए जाते हैं। इन मसालों को एक साथ लोहे के बड़े बर्तनों में बारीकी से कूटा जाता है।
48 घंटे से ज्यादा समय तक इन मसाले की पोटली को पानी में रखकर एक भट्टी पर औषधी युक्त पानी की पोटली रखकर इसकी भाप से वस्त्र बनाने वाले कपड़े को घंटों तक ट्रीट किया जाता है। यहां साड़ियां कई पड़ाव और बारीकियों से गुजारी जाती है, तब कहीं जाकर ये इस्तेमाल के लिये तैयार होती हैं.जान के आपको हैरत होगी लेकिन एक साड़ी बनने में करीब 5 से 6 दिन का समय लगता है।
इन साड़ियों को खरीदने के बाद ऐसा नहीं है आप जब इन्हे पहनेंगी तो इम्युनिटी बढ़ती रहेगी। असल में कई तरह के मसालो से ट्रीट की गई साड़ियों का असर 4 से 5 धुलाई तक ही रहता है। ऐसे में ग्राहक को सलाह दी जाती है कि, वो इनकी धुलाई के लिए कम से कम कैमिकल युक्त पावडर का इस्तेमाल करें ताकि असर ज्यादा दिनों तक बना रहे. इन साड़ियों की कीमत 3 से 5 हजार रुपए के बीच है। अभी ये साड़ियां केवल भोपाल और इंदौर के मृगनयनी स्टोर्स पर ही मिल रही हैं, लेकिन जल्द ही देश के अन्य राज्यों में स्थित एमपी के मृगनयनी स्टोर्स पर उपलब्ध होंगी।
एमपी सरकार में हथकरघा एवं हस्तशिल्प निगम के कमिश्नर राजीव शर्मा ने बताया कि ‘अलग-अलग प्रिंट की इन साड़ियों के प्रयोग के जरिये यंग जनरेशन की पुरानी परंपराओं से रू-ब-रू कराना है. वर्तमान स्थिती में प्राचीन काल के ऋषि मुनियों ने स्वास्थ्य और इम्यूनिटी बढ़ाने वाले वस्त्रों की प्राचीन विद्या और परंपरा को जीवित करने का मौका मिला है, वो भी तब जब एक वायरस देश-विदेश में अपना कहर बरपा रहा है। शर्मा ने बताया की फिलहाल इन साड़ियों का विक्रय भोपाल और इंदौर में किया जा रहा है, लेकिन आगामी दिनों में इसे देश के हर शहर तक पहुंचाने का लक्ष्य है.उन्होने ने बताया की संक्रमण से बचे रहने का ये एक प्राचीन उपाय है। कोरोना के चलते पहले इसपर करीब 2 महीने ट्रायल किया गया. इसके बाद सटीक हल निकला और इन मसालों का मिश्रण तैयार किया गया और फिर जाकर आयुर्वस्त्रों को तैयार किया गया।