November 16, 2024

GOOD NEWS : छत्तीसगढ़ के इस स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ बत्तख पालन सीखेंगे बच्चे…

महासमुंद। छत्तीसगढ़ में विगत वर्षों में स्कूली शिक्षा में व्यापक बदलाव आने लगा है. सरकारी स्कूलों की छवि को और बेहतर और इसे प्राइवेट बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में अब स्कूलों में बत्तख पालन बच्चों को सिखाया जाएगा. ताकि बच्चे आगे चलकर रोजगारमूलक चीजों से जुड़ सके. अभिभावकों के इच्छानुसार सरकारी स्कूलों में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने की सुविधा उपलब्ध करायी गई है. इसके साथ ही चालू शिक्षा सत्र से बस्ता विहीन स्कूल का प्रयोग भी शुरू हुआ है. इस दिन बिना स्कूल बैग के स्कूल पहुंचे बच्चों को स्थानीय कारीगरों, मजदूरों, व्यवसायियों के काम दिखाने की व्यवस्था है.

सरायपाली विकासखंड के पांच स्कूलों का चयन
सुघ्घर पढ़वईया योजना अंतर्गत महासमुंद जिले के सरायपाली विकासखण्ड के शहरी पांच विद्यालयों प्राथमिक शाला झिलमिला, लक्ष्मीपुर, बोडेसरा, लमकेनी और कसडोल स्कूल का चयन हुआ है. सुघ्घर पढ़वईया योजनांतर्गत चयनित प्राथमिक शाला झिलमिला स्कूल में अभिनव पहल की गई है. इस स्कूल में व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा देते हुए आत्मनिर्भरता की दिशा को बढ़ावा देते हुए बत्तख पालन प्रारंभ किया गया है.

प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक प्रताप नारायण दास ने बताया कि बत्तख पालन बिना किसी आर्थिक सहयोग से शुरू किया गया है. आगे बत्तख पालन की जानकारी पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों को दी जाएगी ताकि उन्हें शिक्षा ज्ञान के साथ-साथ बच्चों को व्यवसाय से जुड़ने का ज्ञान हो और विद्यार्थी आत्मनिर्भर बन सके.

स्कूल में ऐसे किया जा रहा है बत्तख पालन
स्कूल में बत्तख पालन के लिए हैंड वॉश के पानी को स्टोर करने के लिए बनायी टंकी में बत्तख सुबह 10 बजे से 4 बजे तक रहेंगे. मध्यान्ह भोजन में बचे एवं गिरे हुए खाने को इकट्ठा कर बत्तखों को खिलाया जा रहा है. यह कार्य मध्यान्ह भोजन चलाने वाली महालक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह की देख-रेख में हो रहा है. बत्तखों को शाम और सरकारी छुट्टी में ये समूह बत्तखों की घर में देखभाल कर रहीं हैं,

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