रायपुर : स्कूली शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने कहा – पाठ्यक्रम में 30-40 प्रतिशत कटौती संभव
रायपुर। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने कोरोना संक्रमण के चलते हुए निरंतर कक्षाएं संचालित न होने के कारण स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में आवश्यतानुसार 30 से 40 फीसदी तक की कटौती किए जाने संबंधी कार्रवाई पूर्ण किए जा चुके है, और इसकी घोषणा शीघ्र ही की जाएगी। पाठ्यक्रम में कटौती उपरांत पढ़ाए जा रहे विषयों की मासिक जानकारी अध्यापकों/ विद्यालयों से ली जावेगी। इसका सतत् मूल्यांकन एवं आंकलन कर पाठ्यक्रम पूर्ण होना सुनिश्चित किया जाएगा।
इस बात की जानकारी वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्कूल शिक्षा एवं परीक्षा प्रणाली विषय पर दैनिक छत्तीसगढ़ वाच के तत्वावधान में आयोजित एक राष्ट्रीय वेबीनार में प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने खुद अपनी ओर से यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि माध्यमिक शिक्षा मंडल के स्कूलों में पाठ्यक्रमों को मासिक इकाईयों में बांटा जा रहा है। जो कि साप्ताहिक एवं मासिक आधार पर होगा, जिसके आधार से ही विद्यालय में अध्यापकों को संबंधित विषय पाठ्यक्रम के क्रमानुसार पढ़ाना होगा। जिसका प्रतिवेदन प्रति सप्ताह, प्रति माह प्राप्त किया जाएगा जो कि प्रदत्त पाठ्यक्रम की अनुक्रम में होगा। संधोधित पाठ्यक्रम में स्पष्ट निर्देश होगा कि अध्यापक को किस महीने, कौन सा चैप्टर पढ़ाया जायेगा। डॉ. शुक्ला ने केन्द्र की नई गाइडलाइन का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी के विद्यार्थी अपने माता-पिता की लिखित सहमति लेकर कठिन अवधारणा पर परामर्श के लिए आ सकते हैं। हालांकि स्कूल 30 सितंबर तक बंद रहेगा।
प्रमुख सचिव ने यह भी बताया कि स्कूलों के 30 फीसदी शिक्षकों को स्कूल आने की अनुमति जारी की गई है। शिक्षक अब ऑनलाइन क्लास भी ले सकेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि रिकॉडेड क्लॉस यूट्यूब में भी उपलब्ध रहेगा। डॉ. शुक्ला ने बताया कि प्रदेश के 22 लाख विद्यार्थी और दो लाख शिक्षक ऑनलाइन क्लास से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे वाट्सएप ग्रुप बनाकर भी शिक्षक क्लॉस ले सकते हैं। इसको लेकर दिशा निर्देश जल्द जारी किए जाएंगे। जो छात्र इंटरनेट के अभाव में नहीं पढ़ पाएंगे उन्हें मोहल्ला-स्कूल/ लाउडस्पीकर स्कूल के माध्यम से पढ़ाया जाएगा, किंतु किसी भी दशा में स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता में कमी स्वीकार नहीं की जाएगी। बच्चों का अध्यापन के साथ-साथ बचपन न छिन जाने का जो भय है उसे दूर करने के लिए सरकार शीघ्र ही निर्देशानुसार विद्यालय प्रारंभ करेगी और बच्चों का खेलकूल के प्रति रूचि बनाए रखेगी।
वेबीनार में नई शिक्षा नीति में अपनाएं गए नियमों को राज्य सरकार अपनी आवश्यकतानुसार संशोधित कर सके इस पर भी विचार किया गया। स्थानीय भाषा पर पठन-पाठन की प्रशंसा की गई। निजी विद्यालय एवं शासकीय विद्यालय के अंतर को समाप्त करने तथा परस्पर समन्वय स्थापित करने पर भी जोर दिया गया। निजी विद्यालय में भर्ती की प्रक्रिया के लिए पृथक प्राधिकरण गठित किए जाने की आवश्यकता महसूस की गई।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरोना संक्रमण के बचाव के उपायों के तहत स्कूली बच्चों को घर पर ही रहकर पढऩे के लिए 7 अप्रैल को पढ़ई तुंहर दुआर की शुरुआत की थी। इस ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म में ऑनलाइन इंटरएक्टिव कक्षाओं के जरिए शिक्षक और बच्चे अपने-अपने घरों से ही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़ रहे हैं। इस पोर्टल में होमवर्क देने और इसे ऑनलाइन जांचने की सुविधा भी है। प्रदेश के दूरस्थ अंचलों एवं विषय शिक्षकों की कमी वाली शालाओं के लिए भी यह यह कार्यक्रम बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। वेबीनार में डॉ. अरूणा पलटा, कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग, रघुनाथ मुखर्जी प्राचार्य (डीपीएस, रायपुर), अमिताभ घोष सारडा विद्या मंदिर रायपुर, अजॉय राय नई दिल्ली, डॉ. अनिल चौधरी एवं डॉ. तपेश चंद गुप्ता ने भी अपने विचार रखे।