CG : बीमारी के उन्मूलन की दिशा में एक बड़ा कदम; कोशिशें लाई रंग, प्रदेश में मलेरिया के टूटे डंक
रायपुर। छत्तीसगढ़ के घने जंगलों और दुर्गम क्षेत्रों वाले बस्तर (Bastar) संभाग में मलेरिया (Malaria) जैसी बीमारियों की रोकथाम हमेशा से एक कड़ी चुनौती रही है. लेकिन, इसके बावजूद हालात तेजी से बदले हैं. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Vishnu Dev Sai) ने बारिश के मौसम को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग (Health Department) को मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए सक्रिय कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. इन निर्देशों से बस्तर सहित पूरे राज्य में मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है, जो एक बड़ी उपलब्धि है. इस बारिश के दौरान मलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रयासों को तेज करने के सीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल (Shyam Bihari Jaiswal) बीजापुर जिले के दौरे पर रहे.
इन जिलों में तेजी से फैला था मलेरिया
छत्तीसगढ़ के मलेरिया के कुल मामलों में से 61.99 फीसदी दंतेवाड़ा, बीजापुर, और नारायणपुर से आते हैं. इन जिलों में स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता और सीएम के निर्देशन में किए गए कार्यों से मलेरिया के मामलों में काफी कमी आई है. बस्तर संभाग में मलेरिया के मामलों में 50 फीसदी की कमी आई है. मलेरिया के वार्षिक परजीवी सूचकांक दर के अनुसार, 2018 में छत्तीसगढ़ में मलेरिया की दर 2.63 फीसदी थी, जो 2023 में घटकर 0.99 फीसदी रह गई है. इसी तरह बस्तर में यह दर 16.49 फीसदी से घटकर 7.78 फीसदी रह गई है.
केस में लगातार आई कमी
मलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 2020 से 2023 के दौरान पहले से नौंवे चरण तक मलेरिया धनात्मक दर 4.60 फीसदी से घटकर 0.51 फीसदी हो गई. इस अभियान का दसवां चरण 5 जुलाई 2024 को समाप्त हुआ. इस अभियान के तहत राज्य में 22 जिलों में 16.97 लाख कीटनाशक युक्त मच्छरदानियों का वितरण भी किया गया.
सीएम ने लिया बड़ा एक्शन
सीएम साय ने जनता से अपील करते हुए कहा कि मलेरिया के लक्षण दिखने पर तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं और समय पर उपचार करवाएं. मलेरिया के मामलों में आई यह कमी सरकार की सतर्कता और जनता की जागरूकता का परिणाम है. छत्तीसगढ़ सरकार के निरंतर प्रयास और जनसहभागिता के कारण मलेरिया पर नियंत्रण पाने में राज्य ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो आने वाले समय में इस बीमारी के उन्मूलन की दिशा में एक बड़ा कदम है.