CG : जिला अस्पताल में लापरवाही; फंगस वाले ओटी में कर दिया मोतियाबिंद का ऑपरेशन, 10 मरीजों की हालत बिगड़ी, दिखाई देना भी बंद!
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ दंतेवाड़ा के जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। जहां डॉक्टरों ने फंगस वाले ओटी में मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर दिया। जहां 20 मरीजों का ऑपरेशन किया गया। इसके बाद 10 मरीजों की हालत बिगड़ गई। जिन्हें आनन फानन में रायपुर रेफर किया गया है। इस मामले की जांच के लिए रायपुर से विशेषज्ञों की टीम दंतेवाड़ा जाएगी। वहीँ कांग्रेस ने भी इस मामले के लिए जांच टीम का गठन किया हैं। मामले की जांच के लिए कांग्रेस ने 6 सदस्यीय जांच समिति गठित की है। बस्तर से कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल के नेतृत्व में यह जांच समिति बनाई गई है। वहीँ प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता भी मेकाहारा में भर्ती मरीजों से मिलकर इसकी विस्तृत जानकारी लेंगे।
बताया जा रहा है कि जिन मरीजों की हालत बिगड़ी है, उन्हें इन्फेक्शन से फिर आंखों में समस्या हो रही है। अब हालत यह है कि मरीजों को दिखाई देना भी बंद हो गया है। इस समस्या के बाद मरीजों के परिजनों में भी आक्रोश है। मामला बढ़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच टीम गठित की है। जांच टीम दंतेवाड़ा पहुंचकर जांच करेगी कि आखिर इन्फेक्शन ओटी की वजह से हुआ है या फिर अन्य कोई समस्या थी।
जिला अस्पताल में 22 अक्टूबर को 20 लोगों का ऑपरेशन हुआ था। इसमें से 10 मरीजों की आंख में संक्रमण (Dantewada News) हो गया। इसकी शिकायत मरीजों ने की। इस पर एक को जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया। वहीं 9 को अंबेडकर हॉस्पिटल रायपुर में ले जाकर भर्ती कराया गया है। जहां सभी मरीजों की आंख का फिर से ऑपरेशन हुआ है। वहीं बीती देर शाम जगदलपुर में भर्ती किए गए मरीज को भी रायपुर रेफर किया गया।
अंबेडकर अस्पताल (Dantewada News) से जानकारी मिली है कि सभी मरीजों को नेत्र रोग विभाग के अलग वार्ड में रखा गया है। जिनकी निगरानी व उपचार जारी है। लगभग दो दिन बाद ही पता चलेगा कि उनकी आंखों की स्थिति क्या है। फिलहाल मरीजों की आंखों में दिक्कतें क्यों आई, इसकी जांच की जा रही है। जांच के बाद ही वास्तविक स्थिति का पता चलेगा।
ये वजह आई सामने, बंद थी ओटी : बताया जा रहा है कि दंतेवाड़ा जिला अस्पताल के जिस ओटी में ऑपरेशन कराया गया है। वह ओटी पिछले एक साल से बंद थी। जहां ऑपरेशन थियेटर को सेनिटाइज करने में मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन भी नहीं किया गया, यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं विशेषज्ञ बताते हैं कि ओटी को पहले फार्मेल्डिहाइड फ्यूमीगेशन करवाना था। इसके बाद कम से कम 48 घंटे तक इसे बंद रखा जाना था। जबकि ऐसा नहीं किया। फ्यूमीगेशन के कुछ समय बाद ही ओटी खोल दिया गया। जबकि ओटी कल्चर टेस्ट कराया जाना था, वह भी नहीं कराया गया।
कुछ इसी तरह का मामला धमतरी जिले में भी आया था। जहाँ सफ्ताह भर पहले मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने वाले चार मरीजों के आँखों में इंफेक्शन पाया गया था। जिनको दिखाई देना बंद हो गया था। उनका भी इलाज किया जा रहा हैं।