December 19, 2024

Coronavirus : तो क्या अब पोलियो मचाएगा कहर? 6.7 करोड़ बच्चों का नहीं हुआ रूटीन वैक्सीनेशन- UNICEF

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नईदिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान देश-दुनिया में कई तरह की समस्याएं देखी गई. कुछ ऐसी जिसके परिणाम लंबे समय में देखने को मिल सकते हैं. महामारी के दौरान अस्पतालों में सिर्फ और सिर्फ कोरोना का ही इलाज हो रहा था. बाकी रूटीन इलाज के लिए महज कुछ अस्पताल ही संचालित हो रहे थे. यही वजह रही कि बच्चों को भी उनका रूटीन वैक्सीन नहीं लगा, जो अब गंभीर बीमारियों के मुहाने खड़े हैं.

यूनिसेफ ने दावा किया कि ऐसे बच्चों की संख्या 6.7 करोड़ है, जो पोलियो जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं. युनाइटेड नेशन की बच्चों और उनके स्वास्थ्य पर नजर रखने वाली संस्था यूनिसेफ ने बताया कि 2019-21 के बीच 67 मिलियन यानी 6.7 करोड़ बच्चों को वैक्सीन के रूटीन डोज नहीं दिए जा सके. इसका मतलब है कि इतनी संख्या में बच्चे गंभीर बीमारियों के मुहाने पर हैं.

बच्चों में हैजा, खसरा और पोलियो का खतरा
यूनिसेफ ने कहा कि बच्चों को जल्द ही वैक्सीन लगाने की जरूरत है, ताकि गंभीर बीमारियों के खिलाफ उनमें इम्युनिटी पैदा हो सके. दुनियाभर में करोड़ों बच्चों को रूटीन वैक्सीन लगाए गए, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे भी बच्चे हैं जिन्हें वैक्सीन नहीं दिया जा सका. दुनियाभर में हर पांच में एक बच्चा जीरो-डोज या आंशिक रूप से वैक्सीनेटेड है. इसका मतलब है कि या तो वे वैक्सीन नहीं लगा पाए या फिर आंशिक रूप से चूक गए. 2008 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ.

भारत में 27 लाख बच्चों का रूटीन वैक्सीनेशन नहीं हुआ
महामारी से पहले जीरो-डोज बच्चों की संख्या भारत में 1.3 मिलियन यानि 13 लाख थी, जो 2021 में बढ़कर 2.7 मिलियन यानी 27 लाख हो गया है. जीरो-डोज वाले बच्चे वे हैं जिन्हें अपना पहला डिप्थीरिया-पर्टुसिस-टेटनस वैक्सीन (DTP1) नहीं मिला है. आंशिक रूप से वैक्सीनेटेड बच्चे वो हैं जिन्हें एक डोज मिली, या फिर दो डोज मिली लेकिन तीसरा एहतियाती डोज नहीं मिल सकी. यूनिसेफ के मुताबिक वैक्सीन की डोज नहीं लगने से बच्चों में हैजा, खसरा और पोलियो का खतरा बढ़ सकता है.

असमानता, गरीबी और वंचित समुदाय के बच्चे
हैरानी की बात ये है कि जिन बच्चों का वैक्सीनेनशन नहीं हुआ है, वे असमानता, गरीबी और वंचित समुदाय के हैं. चार में तीन बच्चे जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ (जीरो-डोज चिल्ड्रन) 20 देशों के हैं. वे दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों, शहरी स्लम बस्तियों, संकटग्रस्त क्षेत्रों और प्रवासी और शरणार्थी समुदायों में रहते हैं. यूनिसेफ ने इन बच्चों को जल्द वैक्सीनेट करने की अपील की.

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