December 25, 2024

गुजरात : कोरोना से होने वाली मृत्यु दर में पहले स्थान पर पहुंचा अहमदाबाद

koro

अहमदाबाद।  गुजरात में कोरोना वायरस तेजी से अपने पैर पसारता ही जा रहा है।  यहां हर 17 कोरोना वायरस मरीजों में से एक की मौत हो रही है।  इसके बाद कोरोना से होने वाली मौतों से अहमदाबाद भारत में पहले स्थान पर पहुंच गया है। 

गुजरात को देश के कई राज्यों की तुलना में अधिक प्रगतिशील माना जाता है. भारत और विदेशों में गुजरात का विकास मॉडल काफी चर्चा में रहता है. लेकिन कोविड -19 महामारी ने यहां की स्वास्थ्य सेवाओं के खोखलेपन को उजागर कर दिया है। 

देखा जाए तो अब तक कोरोना से सबसे अधिक महाराष्ट्र प्रभावित है लेकिन गुजरात इसे भी पछाड़ सकता है. यहां मृत्यु दर 6.22 प्रतिशत है. कोविड 19 के कारण सबसे ज्यादा मौतें महाराष्ट्र में 2.849 हुई हैं, लेकिन यहां भी मृत्यु दर केवल 3.55 प्रतिशत है। 

अहम बात यह भी है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली की तुलना में गुजरात में कोविड-19 के मामलों की संख्या कम और मौतों की संख्या अधिक है.

कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की मृत्यु दर बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड में गुजरात की तुलना में कम है, जबकि यह अविकसित राज्यों की श्रेणी में आते हैं. वहीं ओडिशा, केरल और उत्तराखंड सहित देश में नौ राज्य हैं, जहां मृत्यु दर एक प्रतिशत से भी कम है.

गुजरात में 30 मई से पांच जून के बीच कोरोना वायरस के कुल 3,175 नए मामले दर्ज किए गए, जबकि इस अवधि के दौरान 210 रोगियों की मृत्यु हो गई है. संख्या स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, गुजरात में पांच जून तक मरीजों के स्वस्थ्य होने की दर 68.05 प्रतिशत थी.

दूसरी ओर राज्य सरकार रिकवरी दर को लेकर उत्साह में है और हर घंटे हो रही मौतों पर चुप्पी साध रखी है. साथ ही अनलॉक के बाद से 400 नए मामलों को लेकर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं है. राज्य के स्वास्थ्य सचिव ने अब दैनिक संवाददाता सम्मेलन करना भी बंद कर दिया है.

कोरोना रोगियों की उच्चतम मृत्यु दर गुजरात में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाती है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल में विशेष रूप से स्थापित 1,200-बेड वाले कोविड-19 अस्पताल में 180 वेंटिलेटर थे. इसमें बाद में 40 वेंटिलेटर और दिए गए, जिससे इनकी कुल संख्या बढ़कर 220 हो गई. यह जानकारी राज्य सरकार ने गुजरात उच्च न्यायालय में साझा की.

गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा था, ‘मनुष्य को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है.’ उच्च न्यायालय ने पूछा कि स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव ने कितनी बार सिविल अस्पताल का दौरा किया है.

यह भी आरोप लगाया गया कि सरकारी अस्पतालों में बिस्तर पर पड़े मरीजों की हालत दयनीय थी और वरिष्ठ डॉक्टर मरीजों को देखने नहीं जाते हैं. सिविल अस्पताल में कोरोना वायरस रोगियों के उपचार में घोर उपेक्षा दिखाते हुए कई वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए थे.

20 मई तक अहमदाबाद में कोरोना वायरस से हुई कुल मौतों में से 62 प्रतिशत मौतें सिविल अस्पताल में हुईं. साथ ही यहां मौजूद स्वदेशी रूप से निर्मित धमन-1 वेंटिलेटर को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

26 मई को गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा और पार्टी विधायकों ने सिविल अस्पताल के अधीक्षक एमएम प्रभाकर से मिलने की अनुमति ली. उन्हें मंजूरी मिली भी लेकिन बावजूद इसके अस्पताल अधीक्षक ने उनसे मुलाकात नहीं की.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार यह जानकारी नहीं दे रही है कि चार अप्रैल से 15 मई के बीच कितने मरीजों को धमन -1 वेंटिलेटर पर रखा गया था. कांग्रेस का मानना ​​है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम गुजरात में कोविड-19 के प्रसार के लिए जिम्मेदार था. इस संबंध में कांग्रेस शीघ्र ही उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की योजना बना रही है.

अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 1,200 बेड के कोविड-19 विशेष सुविधा वाले अस्पताल में केवल पांच श्वास रोग विशेषज्ञ हैं, जबकि अन्य निजी अस्पतालों के 20 श्वास रोग विशेषज्ञों को भी अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए कहा गया है. यह विशेषज्ञ हर दो से तीन घंटे में मरीज वार्डों में जाकर जांच करते हैं.

वर्तमान में गुजरात में हर दिन 400 से अधिक नए कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामले सामने आ रहे हैं. पांच जून तक यहां 510 नए मामलों के साथ ही कुल केस बढ़कर 19 हजार के भी पार पहुंच गए हैं. यहां अब तक 1,190 लोगों की कोरोना वायरस के कारण मृत्यु हो चुकी है. अकेले अहमदाबाद में 13,678 पॉजिटिव मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से 968 की मृत्यु हुई है, जिससे शहर देश में मृत्यु दर में पहले स्थान पर पहुंच गया है.

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