UAE जहां चलता है शरिया कानून, मूर्तिपूजा करना सख्त मना, वहां कैसे बना हिंदू मंदिर; जानिए पूरी कहानी
नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में पहला हिंदू मंदिर बनकर तैयार हो गया है। यह मंदिर यूएई की राजधानी अबु धाबी में बना है। इस मंदिर का निर्माण बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण (BAPS) ने करवाया है और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। यह मंदिर अपने आप में सर्वधर्म समान का अद्भुत मिसाल है। यह मंदिर हिंदू धर्म का है जोकि बना मुस्लिम देश में है और मंदिर के लिए जमीन भी मुस्लिम सरकार ने दान दी। वहीं मंदिर निर्माण के दौरान इसका आर्किटेक्ट एक ईसाई था, वहीं डायरेक्टर एक जैन धर्म को मनाने वाला व्यक्ति है। इसके साथ ही प्रोजेक्ट मैनेजर एक सिख और स्ट्रकचर इंजीनियर एक बौद्ध धर्मं का व्यक्ति है। इसके साथ ही मंदिर को बनाने वाली संस्था एक पारसी समुदाय के व्यक्ति की है।
27 एकड़ में हुआ है मंदिर का निर्माण
अबु धाबी में बना यह मंदिर 27 एकड़ में फैला हुआ है। मंदिर की ऊंचाई 108 फीट है और इसकी लम्बाई 262 फीट और चौड़ाई 180 फीट है। मंदिर में सात गर्भगृह बनाए गए हैं, जिसमें अलग-अलग देवी देवताओं की मूर्तियां रखी जाएंगी। मंदिर का शिलान्यास 20 अप्रैल 2019 को महंत स्वामी महाराज और PM मोदी ने किया था। वहीं करीब 5 वर्ष बाद 14 फरवरी 2024 को PM मोदी और महंत स्वामी महाराज ने इस मंदिर का उद्घाटन किया है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, अबु धाबी में हिंदू मंदिर का सपना साल 1997 में देखा गया था और इस सपने को मूर्त रूप देने की शुरुआत 2012 में हुई। 2012 में मंदिर निर्माण के लिए जमीन खोजना शुरू किया गया। इस दौरान मंदिर BAPS के अधिकारी UAE के राष्ट्रपति क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मिले और मंदिर निर्माण के लिए दो-तीन जमीन का प्रस्ताव उनके सामने रखे।
मंदिर के लिए 27 एकड़ जमीन क्राउन प्रिंस ने दी
पप्रिंस के प्रशासन ने इस प्रस्ताव पर गौर करना शुरू कर दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2015 में UAE के दौरे पर गए। इस दौरान ही क्राउन प्रिंस ने मंदिर बनाने की अनुमति पीएम मोदी के सामने ही दे दी और वचन दिया कि वे मंदिर के लिए जमीन भी देंगे। तीन साल बाद 2018 में आधिकारिक तौर पर BAPS को मंदिर के लिए जमीन आवंटित कर दी गई। शुरुआत में अबु धाबी में क्राउन प्रिंस ने 13.5 एकड़ जमीन दी थी। मंदिर निर्माण की अनुमति मिलने के बाद डिजाइन समेत सभी काम चलते रहे। वहीं जब BAPS फाइनल प्रस्ताव लेकर प्रिन के पास गया तो उन्होंने कहा कि आप 13.5 एकड़ में तो मंदिर ही बना रहे हैं। इस दौरान जब आप भारत से पत्थर लायेंगे। वह कहां रखेंगे और अन्य जो भी निर्माण सामग्री होगी, उसे कहां रखा जाएगा? इसी दौरान प्रिंस ने 13.5 एकड़ जमीन और दे दी। अब इसी 27 एकड़ जमीन पर मंदिर बना है।
मंदिर निर्माण के लिए जमीन मिल चुकी थी लेकिन अभी सबसे मुश्किल काम बकाया था। यह मुश्किल काम था एक मुस्लिम देश में मंदिर बनाना, जोकि शरिया के कानूनों के हिसाब से चलता है। शरिया में मूर्ति पूजा नहीं होती है। BAPS इस बात को लेकर शंसय में था कि भारतीय परंपरा की तरह मंदिर बनाने दिया जाएगा या नहीं। यदि हम कलश के लिए अड़े तो हो सकता था कि मंदिर ही कैंसिल हो जाए। इसी वजह से मंदिर के दो तरह की डिजाइन बनाए गए एक में पारंपरिक शिखर था, दूसरे में नहीं। दूसरे मंदिर में प्रस्ताव था कि हम मूर्तियां रखेंगे और बाहर से सामान्य बिल्डिंग का आर्किटेक्चर रखेंगे। दोनों तरह के डिजाइनों को लेकर क्राउन प्रिंस से मिला गया। इसके बाद उन्होंने कहा कि मंदिर भारतीय शैली में ही बनना चाहिए। इस पर UAE और प्रिंस को कोई आपत्ति नहीं है और इस पर रोक नहीं लगाई जाएगी।
मंदिर के पत्थर राजस्थान से लाए गए
प्रिंस की इस इजाजत के बाद मंदिर का निर्माण तेजी से शुरू कराया गया। राजस्थान में मंदिर के लिए पत्थर तराशे गए। देश के अलग-अलग हिस्सों में मूर्तियां बनीं। इन्हें गुजरात के कच्छ स्थित मुंद्रा पोर्ट से पानी के जहाज से अबु धाबी लाया गया। यहां भारत की शापूरजी पालोनजी कंपनी के साथ मिलकर BAPS ने मंदिर का निर्माण शुरू कराया और लगभग पांच साल में मंदिर बनकर तैयार हो गया।