December 23, 2024

कोंडागांव : हरी मिर्च की खेती से लाल हो रहे के किसान, दिल्ली तक मांग

02_03_2020-chili
कोंडगांव।छत्तीसगढ़ में मक्का की खेती के मामले में सबसे आगे  रहने वाले  कोंडागांव  के किसान अब मक्का की खेती छोड़कर  मिर्च हरीसे लाल होने लगे हैं।इलाके में  मक्का के खेतों में इन दिनों हरी मिर्च की फसल लहलहा रही है। यहां से मिर्च नई दिल्ली की आजाद मंडी तक भेजी जा रही है। मिर्च की खेती का सौदा मुनाफे का है। इसकी डिमांड भी जमकर है। फसल चक्र परिवर्तन की वजह से मिर्च की खेती इन दिनों किसानों को काफी मुफीद लगने लगी है। कोंडागांव जिलेे में जगह-जगह मिर्च के खेत दिखने लगे हैं।उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक बीआर दर्रा का कहना है किजिन किसानों के खेत में ड्रिप सिस्टम लगा है, वह मिर्च की खेती कर रहे हैं। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष मिर्च की खेती का क्षेत्रफल बढ़ा है।
वह इलाका है जो मक्का के उत्पादन के लिए जाना जाता रहा। सरकार ने यहां सहकारिता के आधार पर 105 करोड़ की लागत से मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाने का फैसला लिया है। अभी प्लांट की सिर्फ बाउंड्रीवॉल बनी है। इस बीच तेजी से मक्का किसानों की रूचि बदल रही है। मिर्च की खेती करने वाले किसानों की तादाद साल दर साल बढ़ रही है। मक्का व उड़द की पारंपरिक फसलों से ज्यादा मिर्च की खेती किसानों को मुफीद लग रही है। 2019 में एक हजार हेक्टेयर में मिर्च की खेती हुई थी। इस साल मिर्च के रकबे में 250 से 300 हेक्टेयर की वृद्धि संभावित है। मक्का हब कहे जाने वाले सातगांव, लंजोड़ा, फरसगांव, गिरोला, दूधगांव आदि गांवों में अब मिर्च की खेती की जा रही है।
सातगांव निवासी किसान रामेश्वर सेठिया व मुरलीधर दीवान ने जनरपट को बताया पहले खेत में बारिश के समय धान की एक फसल लेते थे। नलकूप खनन के बाद खेतों में सिंचाई की सुविधा होने से गर्मी के समय किसान मक्के की खेती करने लगे। मक्के की खेती में बीमारियों के प्रकोप से परेशान होकर अब उन्न्त तकनीक को अपनाकर मिर्च की खेती कर रहे हैं। मिर्च की खेती में लागत भी कम है। बीमारियों का प्रकोप भी उतना नहीं होता। मुनाफा भी मक्के से बेहतर होता है। रामेश्वर ने कहा कि पिछले साल भी 5.30 एकड़ में मिर्ची की फसल ली थी। तब मिर्च 25 रुपये किलो बिकी थी। इस बार रविवार को 330 कट्टा व सोमवार को 200 कट्टा मिर्ची पहली बार तोड़े हैं, जिसे 15 रुपये किलो की दर पर व्यापारियों को दे रहे हैं। अभी कीमत और बढ़ेगी। यहां से गोंदिया व दिल्ली तक मिर्च भेजी जा रही है। मिर्च की फसल के लिए मजदूर अधिक लगते हैं। प्रतिदिन मिर्च तोड़ने के लिए गांव की 25-30 युवतियां आती हैं। युवतियों ने बताया कि वे मिर्च तोड़कर हर एक को दिन के 150 से 300 रुपये तक मिल जाते हैं।
कोंंडागांव जिले के कोकोड़ी में मक्का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जा रहा है। जिले के मक्का उत्पादक 60 हजार किसानों में से 48 हजार प्लांट में पंजीकृत हैं। प्लांट में पंजीकृत किसानों में से 738 अब मक्का छोड़ मिर्च की खेती कर रहे हैं। इनके अलावा गैर पंजीकृत किसानों ने भी मिर्च की ओर रुख कर लिया है।
error: Content is protected !!