चारागाह विकास कार्यक्रम : आदर्श गौठान में तैयार हो रहे हैं ताजे, हरे व पौष्टिक चारे
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के माध्यम से जिले के 11 मॉडल गौठानों में नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी (सुराजी गांव योजना) के अंतर्गत चारागाह विकसित किए जा रहे हैं। यहां चारागाह विकास कार्यक्रम के तहत आदर्श चारागाह में हरे-भरे बहुवर्षीय नेपियर घास, बहुवर्षीय ज्वार तथा अन्य हरे चारों का मनमोहक दृश्य देखने को मिल रहा है। इन चारागाहों में बहुवर्षीय नेपियर घास की उन्नत प्रजाति बीएन-5 को लगाया गया है, सूखा रोधी बहुवर्षीय ज्वार तथा मक्का की प्रजातियों को रिजनल फुडर स्टेशन हैदराबाद तथा नेपियर घास की प्रजाति तमिलनाडू से मंगाई गई है।
महात्मा गॉंधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत के.वी.के. कोरिया द्वारा चारागाह प्रक्षेत्र का कार्यक्रम गौठान स्थल के समीप बंजर, वनभूमि या बेकार पड़ी जमीनों में किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा चरवाहा समिति को उन्नत चारागाह विकास व चारा प्रबंधन तकनीक पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। ग्रामीण महिलाओं, कृषकों व युवाओं को चारा से बनने वाले उत्पाद आदि को भी सुरक्षित रखकर लंबे समय तक चारे की पौष्टिकता को बनाए रखने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
नेपियर एवं बहुवर्षीय ज्वार लगभग तीन से चार वर्ष तक हरे चारे के लिए उपयोग की जाएगी तथा उक्त घासों को बार-बार लगाने की आवश्यकता नहीं होगी। साथ ही साथ चारागाह की कुछ बहुवर्षीय नेपियर घास की पट्टीयों को बीज हेतु सुरक्षित रखा जा रहा है। आने वाले वर्षाें में तना कटिंग से पूरे जिले के अन्य गौठानों को भी नेपियर घास बीज प्रदाय किया जा सकेगा तथा गैप फिलिंग के लिए उन्हीं चारागाह में पुनः उपयोग किया जा सकेगा।
किसान उन्नत चारों की उपयोगिता को देखते हुए अपनी बाड़ी मे नेपियर, जौ, मक्का, ज्वार, सूडान घास की उन्नत प्रजातियों को लगाने के लिए इच्छुक हो रहे है ताकि पशुओं को पौष्टिक हरा चारा गौठानों में दिया जा सके। चरवाहा समिति के माध्यम से प्रतिदिन महिलाओ द्वारा हरा चारा कटा जा रहा है तथा प्रति पशु लगभग 5-6 किलोग्राम का पौष्टिक चारा खिलाया जा रहा है। महात्मा गॉंधी नरेगा के सहयोग से विकसित इन चारागाह विकास के पहले सत्र से ही गौठानों की गायों को पौष्टिक हरा चारा प्राप्त होने लगा है।