टोकनी के खजाने में छिपी महुआ, चार, तेंदू और खट्टी-मीठी ईमली : पहाड़ों पर कुदरत है मेहरबां, महकते फल-फूलों की है छतरियां
रायपुर। भोर होते ही हाथ में टोकनी लिए अलग-अलग डगर से होते हुए दूर सघन पहाडियों की ओर लघुवनोपज संग्रहण के लिए निकल पड़ते हैं महिलाएं, युवा और बुजुर्ग। यह खुशनुमा मंजर है, राजनांदगांव जिले के नक्सल प्रभावित विकासखंड मानपुर के ग्राम हलोरा का, जहां सघन वनों के बीच महुए टपक रहे हैं और इससे जमीन पर सुनहरी परत बिछ गई है। मेहनतकश लोगों की टोकरी के खजाने में महुआ, चार, चरोटा, तेन्दू, आवला, हर्रा, बहेड़ा, शहद, धवईफूल, रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, बेल गुदा, जामुन बीज, ईमली, आम से भरे हुए हैं। महकते फल-फूलों की छतरियों से वन गुलजार हैं। घने पहाड़ों पर धूप गिलहरी की तरह आंख मिचौली खेल रही है। कोरोना वायरस कोविड-19 की विभीषिका से बचाव के लिए जिले में लॉकडाउन है। ऐसे में सुरक्षा उपायों एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए वनांचल के ग्रामवासी लघुवनोपज संग्रहण के लिए पूरी तल्लीनता से जुटे हुए हैं।
राजनांदगांव जिले के मानपुर एवं मोहला विकासखंड अनुसूचित जनजाति क्षेत्र हैं। यहां के वनों में प्रचुर मात्रा में लघुवनोपज है। ग्राम हलोरा की श्रीमती सीमा मिस्त्री ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रोत्साहन एवं संबल से हम सभी लघुवनोपज संग्रह कर रहे हैं और समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज की संग्रहण केन्द्रों में बिक्री होने से हमे अच्छी आमदनी मिल रही है और हमारा जीवन स्तर उन्नत हुआ है। ग्राम हलोरा की ही श्रीमती समैतिन ने कहा कि हम सभी 5 बजे सुबह से उठकर महुआ बिनने जाते है और उसे सुखाकर बेचते हैं। शासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर वनोपजों की खरीदी होने से हमें बड़ा सहारा मिला है। उन्होंने बताया कि वे महुएं का लड्डू एवं अचार बनाकर भी विक्रय कर रही है। परिवार को आर्थिक रूप से मदद देने के साथ ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी इस आमदनी से हो पा रही है। वहीं मिचगांव के श्रीमती सकुन्ती और श्रीमती झारसाय सपरिवार महुआ बिनने का कार्य कर रहे हैं। ग्राम आमाकोड़ा की बुजुर्ग अम्मा भी लघु वनोपज संग्रह कर रही है। ग्राम तोलुम की बालिका मनीषा, ओमप्रकाश, डालिका भी महुआ और अन्य लघु वनोपज बिनने में लगे हुए हैं। उनके द्वारा बताया गया कि जंगल के पास घर है इसलिए महुआ बिनने में कोई डर नहीं लगता और इस कार्य में खूब आनंद मिलता है।
लॉकडाउन की अवधि के दौरान राजनांदगांव जिले में अब तक चरोटा बीज, हर्रा, महुआ फूल, बहेड़ा, इमली (बीज रहित), इमली बीज, कालमेघ, बेल गुदा, पलास फूल, भिलवा, करंज बीज के 358.29 क्विंटल लघुवनोपज की शासन के द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर खरीदी हो चुकी है। इसमें समितियों द्वारा 6 लाख 25 हजार 864 रूपए का भुगतान लघुवनोपज संग्राहकों को किया जा चुका है। वन विभाग की ओर से वनवासी-ग्रामीणों में लघु वनोपज संग्रह के लिए सतत रूप से जागृति लाई जा रही है। उल्लेखनीय है कि राज्य में अब समर्थन मूल्य पर फूल ईमली (बीज रहित) की भी खरीदी की जा रही है। इसे मिलाकर राज्य में अब समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या बढ़कर 23 तक हो गई है। बीज रहित फूल ईमली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 54 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।