November 24, 2024

दिल्ली हिंसा को देखकर यमराज भी इस्तीफा दे देते : संजय राउत

नई दिल्ली।  दिल्ली हिंसा को लेकर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक लेख छापा है. इस लेख में दिल्ली हिंसा को हृदय विदारक बताया गया है।  राज्यसभा सांसद संजय राउत ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर के हवाले से यह लेख लिखा है।  संजय राउत लिखते हैं, ‘दिल्ली की हिंसा को देखकर तो अब तक यमराज भी इस्तीफा दे देते।  हिंदू और मुसलमानों के मासूम बच्चे अनाथ हो गए।  क्या हम अनाथों की एक नई दुनिया बना रहे हैं? मानवता खो चुकी राजनीति, उस राजनीति से निर्माण होनेवाला निघृण धार्मिक उन्माद और उस उन्माद से पैदा किया गया नया राष्ट्रवाद देश के बचे-खुचे इंसानों को मार रहा है।  यह दृश्य राजनीतिज्ञों को दुख नहीं देता होगा तो उन्हें खुद को यम का वारिस घोषित कर देना चाहिए।  दिल्ली में खून-खराबेवाला मौत का तांडव देखकर यम भी विचलित हो गया होता और उसने अपने पद से इस्तीफा दे दिया होता. देश का दृश्य भयानक है.’
संजय राउत ने आगे लिखा है, ‘मुदस्सर खान के बच्चे का फोटो दुनियाभर में प्रकाशित हुआ।  वो फोटो कलेजा चीरनेवाला है. मुदस्सर खान के उस निरपराध बच्चे के आंसू और आक्रोश से दिल्ली के दंगों का वास्तविक दृश्य दुनिया के सामने आया।  50 सिर्फ एक आंकड़ा है, लेकिन वास्तव में यह 100 से अधिक होगा. अगर लोग अभी भी हिंदू-मुस्लिम मानते हैं तो यह मानवता की मौत है.’

अपने लेख में संजय राउत ने लिखा है कि हिंदुत्व, धर्मनिरपेक्ष, हिंदू-मुसलमान, क्रिश्चन-मुसलमान के विवाद से दुनिया विनाश की दहलीज पर पहुंच गई है। धर्म के नाम पर ‘बचाओ! बचाओ!’ का आक्रोश किया जाता है. मदद के लिए न तो ईश्वर दौड़ते हैं, न अल्लाह दौड़ते हैं, न ही येसु दौड़ते हैं. ‘सरकार’ नामक माई-बाप भी ऐसे संकटों के समय दरवाजे, खिड़कियां बंद करके बैठ जाते हैं. दंगे, अकाल, बाढ़ में कितने लोग मरते हैं. इसके आंकड़े आते हैं, लेकिन इन दंगों में कितने बच्चे अनाथ और लावारिस हुए हैं इसके आंकड़े आने अभी बाकी हैं.’

राउत ने लिखा है, ‘दिल्ली हिंसा के बाद एक निरपराध बच्चे की फोटो दुनियाभर में प्रकाशित हुई. बाप की लाश के पास ये बच्चा क्रंदन कर रहा है।  ये फोटो देखकर भी कोई हिंदू-मुसलमान ऐसा खेल करता रहेगा तो इंसान की हैसियत से जीने के लायक नहीं होगा. एक स्कूली बच्चा अपने खाक हुए घर की राख से स्कूल की जली हुई पुस्तकें बाहर निकाल रहा है. ये पुस्तकें उर्दू में न होकर हिंदी में हैं।  उस राख में तो हिंदू-मुसलमान मत ढूंढ़ो, लेकिन ऐसी खोज जारी ही है. यह राख मतलब राजनीतिज्ञों की रोजी-रोटी बन गई है.’

राउत ने कहा, ‘’शाहीनबाग’ में आंदोलन विवाद का मुद्दा बन सकता है. किसी ने वहां भड़काऊ भाषण दिया, किसी ने आग लगाई।  ये सब कौन लोग थे, जिन्होंने 50 से ज्यादा लोगों के प्राण ले लिए? ऐसा सवाल कई निरपराध बच्चे और उनकी मां की आंखों से बहने वाले आंसू उठा रहे हैं।  ऐसा ही सवाल अंकित शर्मा की मां, राहुल सोलंकी के पिता और मुदस्सर खान के कोमल बच्चे की आंखों से न रुकने वाले आंसू पूछ रहे हैं।  खून का रंग धर्म के अनुसार नहीं होता है. उसी तरह आंसुओं का भी नहीं होता है.’
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