दुर्लभ बीमारी से जूझते डेढ़ साल के बच्चे के तीसरे हाथ को ऑपरेशन से किया अलग
रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर में दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे तीन हाथ वाले डेढ़ साल के बच्चे का सफल इलाज कर अतिरिक्त बांह को निकाल लिया गया। डीकेएस अस्पताल में हुए निशुल्क इलाज के बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। छत्तीसगढ़ में इस तरह का यह पहला मामला है।
चिकित्सकों ने बताया कि दिपांजली साहू और शिवकुमार साहू का बेटा पैरासाइटिक टि्वंस नामक दुर्लभ बीमारी से जूझ रहा था। उसके तीन हाथ थे। अजीब विकृति से जूझ रहे अपने बच्चे को बचाने के लिए माता-पिता ने कई निजी अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन मायूसी ही मिली। फिर उन्होंने डीकेएस सुपरस्पेशलिटी शासकीय अस्पताल लाया। चिकित्सकों ने जांच में पाया कि बच्चे के अतिरिक्त हाथ की नसें सामान्य हाथ की मुख्य नसों से जुड़ी हुई हैं। दो हाथों का जोेड़ एक ही जगह में था। जटिल ऑपरेशन के बाद विकृत हाथ को चिकित्सकों ने अलग कर लिया।
अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि निजी अस्पताल में इस ऑपरेशन का खर्च डेढ़ से दो लाख स्र्पये तक आता, लेकिन यहां शासकीय योजना के तहत बच्चे का इलाज निशुल्क किया गया। ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. नितिन शर्मा, डॉ. एम अमिन मेमन, डॉ. जीवन लाल पटेल, डॉ. प्रतीक बारले, डॉ. दीपक सिंह, डॉ. कीर्ति और भावना शामिल रहे।
इस बीमारी में मां के पेट में पल रहे भ्रूण में जुड़वा दूसरा भ्रूण पोषण ले लेता है। जन्म के बाद बच्चे में यह अविकसित भ्रूण किसी विकृति के साथ सामने आता है। इसमें एक से अधिक पैर, हाथ, पेट, छाती या लटकता हुआ मांस दिखाई देता है। एक से अधिक हाथ या पैर होने का मामला दुर्लभ होता है। चिकित्सकों के अनुसार इसका इलाज काफी जोखिम भरा होता है।