सुकमा। लॉकडाउन के बीच रोजगार खो चुके मजदूरों की मुसबीतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला जिले के कोंटा का है, जहां 6 श्रमिक 250 किलोमीटर पैदल चलकर छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश की सीमा पहुंचे, लेकिन दोनों राज्यों के बीच बॉर्डर सील होने के चलते श्रमिक नदीं में कुद गए। छत्तीसगढ़, ओड़िसा और आंध्र प्रदेश की सीमा पर बहने वाली शबरी नदी घाट में मोटर बोट और नाव बंद है।
किसी तरह से 5 मजदूर तैरकर नदी पार कर गए लेकिन एक श्रमिक शबरी के बहाव में बह गया और नदी के बहाव में तैरकर आए एक पेड़ पर अटक गया। दो घंटे से ज्यादा समय तक वह वहीं फंसा था। साथी श्रमिकों ने इसकी जानकारी स्थानीय मछुआरों को दी। जिसके बाद घंटों मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला गया।

परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए ओड़िसा राज्य के मलकानगिरी से कुछ ग्रामीण आंध्र प्रदेश के जंग्गारे ड्डीगुडम गए थे. वे यहां पॉम ऑयल फैक्ट्री में काम कर रहे थे। फैक्ट्री का काम लॉकडाउन के कारण ठप हो गया. लॉकडाउन 2 के शुरू होने से उनके सामने पैसों की किल्लत होने लगी। घर वापसी का मन बनाकर 6 मजदूर पैदल ही जंगल के रास्ते निकल पड़े। करीब 250 किलोमीटर का सफर तय कर बुधवार सुबह दस बजे आंध्र और छत्तीसगढ़ की सीमा पर पहुंचे। बार्डर सील होने के चलते मजदूर क्वॉरेंटाइन के डर से नदी में तैरकर पार करने को मजबूर हो गए।
पत्रकारों और स्थानीय मछुआरों की मदद से नदी में फंसे मजदूर को रेस्क्यू करने के बाद नाव से पार कराया गया. ओड़िसा के मोटू गांव में सभी मजदूरों को क्वारंटाइन किया गया हैं. कोंंटा एसडीएम हिमांचल साहू ने बताया कि बुधवार को कुछ मजदूरों द्वारा चोरी छुपे नदी तैरकर पार करने की कोशिश की गई थी. जिस क्षेत्र से मजदूरोंं ने नदी पार किया है वह छत्तीसगढ़ की सीमा से बाहर है. लगातार प्रशासन द्वारा बार्डर और ग्रामीण इलाकों को जोड़ने वाली सड़कोंं पर नजर रखा जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर पर बसा कोंटा नगर आंध्रप्रदेश और ओड़िसा राज्य की सीमा को छूता है. तीनों राज्य के लिए प्रमुख आवागमन का केन्द्र है. इसलिए यहां लॉकडाउन की घोषणा के बाद प्रवासी मजदूरों की वापसी इसी मार्ग से हो रही है. कोंटा नगर में प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों के ठहरने के लिए 6 राहत शिविर बनाए गए हैं. कोंटा के 6 राहत शिविरों में करीब 616 मजदूरों को ठहराया गया है।