सुपरमून : बेहद चमकीला और बड़ा है होली की रात का चांद
रायपुर। आज 10 मार्च को आसमान में एक खगोलीय घटना घटित हुई। आज रात का चांद कुछ खास रहा। यह अपने सामान्य आकार से बड़ा तो है ही, अधिक चमकीला भी रहा । यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है जो सैकड़ों साल में एक बार हेाती है। यह चांद फागुन महीने की पूर्णिमा के चलते बड़ा हुआ। इसे भारतीय बड़ा चांद कह सकते हैं लेकिन वैश्विक रूप से इसे सुपरमून की घटना कहा जाता है। आप गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि चांद रोज की तुलना में कहीं अधिक चमकदार है। इसकी रोशनी इतनी तेज होती है कि पूरी धरती इससे जगमगा उठती है। इसका सीधा सा कारण यही होता है कि इस क्षण यह पृथ्वी के बेहद निकट होगा। जानकारों का कहना है कि होली की रात का चांद जो कि सुपरमून है, वह पूर्णिमा के चांद की तुलना में कहीं अधिक बड़ा होता है। यह 14 गुना बड़ा व 28 फीसदी ज्यादा चमकदार हैं। खास बात यह है कि यह गोल नहीं होगा बल्कि थोड़ा सा अंडाकार था। इसका नाम है सुपरमून।
ऐसी घटना सैकड़ों वर्षों में एक बार होती है। ऐसा बहुत कम होता है कि चांद पृथ्वी की कक्षा के बहुत निकट होता हो। गत 9 मार्च एवं आज 10 मार्च को सूर्य, पृथ्वी एवं चांद एक ही कतार में हैं। इसके चलते चांद हमारी पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर है।
ज्योतिष पक्ष के अनुसार पूर्ण चंद्र की यह घटना लोगों के लिए शुभकारी है। होली के दिन सुपरमून होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। आज की रात यदि आप अपने घर की छत पर या किसी भी खुले स्थान से खड़े होकर चंद्रमा को देखेंगे, तो पाएंगे कि यह अधिक शुभ है। यदि आप धार्मिक दृष्टि से इसे अनुभव करना चाहते हैं तो चांदी की प्लेट में शुद्ध घी का दीया लेकर धूप एवं अगरबत्ती लगाकर अर्पण करें। इससे आपके घर में लक्ष्मी का वास होगा।
मार्च के महीने में सुपरमून की घटना हो रही है और यह बुधवार तक दिखाई देगी। लेटेस्ट सुपरमून सोमवार शाम से दिखना शुरू हो गया था। भारत में यह 10 मार्च का दिन खत्म होने तक दिखाई देगी। संयोग से इस दिन होली का भी पर्व मनाया गया है। हालांकि मार्च के सुपरमून का होली पर संयोग होना अनिवार्य नहीं है लेकिन इस साल यह संयोग बना है। भारतीय हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार होली का पर्व भी पूर्णिमा यानी पूर्ण चंद्रमा पर ही मनाया जाता है। जहां तक मार्च में नज़र आने वाले सुपरमून की बात है, इसे Crow Moon, Crust Moon, Sap Moon, Sugar Moon, or Worm Moon आदि कई नामों से जाना जाता है।
सुपरमून एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग पूर्ण चंद्रमा का वर्णन करने के लिए किया जाता है जब चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी के सबसे करीब होती है। हमारे ग्रह से इस नज़दीकी दूरी के कारण, चंद्रमा बहुत बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। हालांकि, एक पूर्णिमा आवश्यक रूप से एक सुपरमून नहीं हो सकती है क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक अण्डाकार कक्षा में घूमता है। पूर्ण चंद्रमा पूर्ण रूप में तब भी दिखाई दे सकता है, जब वह हमारे ग्रह से अधिक दूरी पर हो।
2020 का पहला सुपरमून 7 से 9 फरवरी को दिखाई दिया और इसे लोकप्रिय रूप से स्नो मून कहा गया। 8 अप्रैल को, अगला सुपरमून या “सुपर पिंक मून” दिखाई देगा।
सुपरमून पहली बार सोमवार 11.18PM, IST पर दिखाई दिया। भारत का पूरा सुपरमून होली समारोह के साथ घटित हुआ । 10 मार्च को लगभग 12.01 बजे यह दिखाई दिया। चूंकि इस समय भारत में दिन था इसलिए पूरा सुपरमून स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दिया। हालांकि आप इसे आकाश में नहीं देख पाएंगे लेकिन इसके दूसरे ऑप्शन भी हैं। कुछ ऑनलाइन वेबसाइट सुपरमून की लाइव स्ट्रीम सुविधा दे रही है। Slooh अपने YouTube चैनल पर सुपरमून लाइव की स्ट्रीमिंग कर रहे थे।
जब एक सुपरमून का नाम रखने की बारी आती है, तो यह प्रक्रिया आमतौर पर मूल अमेरिकी क्षेत्रों और मौसमों पर निर्भर करती है। NASA नासा के अनुसार, मार्च के सुपरमून को कभी-कभी पारंपरिक रूप से “क्रो मून” कहा जाता है जो कौवे से शिकार के समय से जुड़ा है।इसे वॉर्म मून भी कहा जाता है, क्योंकि दक्षिणी अमेरिका में जनजातियों ने वसंत की शुरुआत को चिह्नित करते हुए उल्लेख किया है कि वर्ष के इस समय तक, मिट्टी पिघलना शुरू हो जाएगी और केंचुआ जाति जमीन पर दिखाई देगी। “सुपरमून” शब्द पहली बार 1979 में गढ़ा गया था और जल्द ही एक व्यापक रूप से लोकप्रिय शब्द बन गया।