November 25, 2024

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई राज्यसभा के लिए मनोनीत

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सुप्रीम कोर्ट के भूतपूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट में जज के पद पर रहते कई अहम फैसले किए । इसमें सबसे चर्चित राम जन्मभूमि का फैसला शामिल है।
तत्कालीन सीजेआई गोगोई के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने 40 दिनों की नियमित सुनवाई के बाद सर्वसम्मति से 161 साल से लंबित अयोध्‍या भूमि विवाद में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था। गोगोई सुप्रीम कोर्ट के 25 न्यायाधीशों में से उन 11 न्यायाधीशों में शामिल रहे जिन्होंने अदालत की वेबसाइट पर अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था। जस्टिस गोगोई का 16 दिसंबर 2015 को दिया गया एक आदेश खास वजह से जाना जाता है। उन्होंने देश में पहली बार अपने आदेश के जरिए किसी राज्य का लोकायुक्त नियुक्त किया था। जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस वीरेन्द्र सिंह को उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त नियुक्त करने का आदेश दिया था। न्‍यायमूर्ति गोगोई ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि सर्वोच्च अदालत के आदेश का पालन करने में संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों का नाकाम रहना बेहद अफसोसजनक और आश्चर्यचकित करने वाला है। गोगोई के कार्यकाल की दूसरी महत्वपूर्ण घटना 11 दिसंबर 2016 की है। इसमें केरल के चर्चित सौम्या हत्याकांड के फैसले पर ब्लाग में टिप्पणी करने पर जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के ही सेवानिवृत न्‍यायमूर्ति मार्कडेय काटजू को अदालत में तलब कर लिया गया था। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब कोई सेवानिवृत न्‍यायमूर्ति सुप्रीम कोर्ट में पेश हुआ हो और उसने बहस की हो। उस समय न्‍यायमूर्ति गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने काटजू को अवमानना नोटिस जारी करते हुए कहा था कि ब्लाग पर की गई टिप्पणियां प्रथम दृष्टया अवमाननापूर्ण हैं।
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