रायपुर। कोरोना वायरस का प्रकोप पूरी दुनिया को अपनी जद में ले चुका है। भारत में भी अफरा-तफरी का माहौल है। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक अलग-अलग दिशा निर्देश जारी कर लोगों को जागरूक करने के साथ ही सतर्कता बरतने के निर्देश दे रही है। निजी संस्थाओं द्वारा भी कोरोना के असर को कम करने, लोगों को जागरूक करने के लिए हर तरह से प्रयास किया जा रहा है। इन तमाम बातों के बीच कोरोना वायरस (COVID-19) का प्रभाव मंदिरों में भी पड़ता दिखाई दे रहा है।
राजधानी रायपुर के सबसे प्राचीन मंदिरों में शामिल महामाया मंदिर में 17 मार्च से आगामी 2 अप्रैल तक अगरबत्ती जलाने में प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही मंदिर में पहली बार आरती के समय भी श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था की जाएगी. मंदिर प्रांगण में चार स्थानों पर हाथ-पैर धोने की व्यवस्था की जा रही है। वहीं भीड़ को नियंत्रित करने के लिए वालिन्टियर नियुक्त किए जा रहे है। इतना ही नहीं नवरात्र के समय में मंदिर प्रांगण में आयोजित सांस्कृति कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया गया है।
मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ल ने बताया कि मंदिर समिति की बैठक में यह तमाम निर्णय लिए गए हैं। वहीं अगरबत्ती को प्रतिबंधित करने के पीछे तर्क देते हुए कहा कि नवरात्र के समय में कई निम्न स्तर की अगरबत्तियां बाजार में बेची जाती है, जिसके जलने के बाद वायु प्रदूषण के साथ ही लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है। इसलिए अगरबत्ती को प्रतिबंधित कर कपूर, गोबर के कंडे, धूप जलाने का आग्रह किया जा रहा है। वहीं यह भी बताया कि मंदिर के आस-पास पूजन सामग्री बेचने वालों को समझाइश दी गई हैं कि वे अगरबत्ती ना बेचें।
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में प्रत्येक नवरात्रि में विशेष मेले का आयोजन किया जाता रहा है. इस बार भी 24 मार्च से शुरू होने वाली नवरात्रि को लेकर सभी तैयारी लगभग पूरी की जा चुकी है. मगर कोरोना के प्रभाव से डोंगरगढ़ मेले को स्थगित कर दिया गया है. राज्य सरकार की ओस से जारी सूचना के अनुसार ना केवल डोंगरगढ़ मेले को स्थगित किया गया है बल्कि 17 मार्च से आगामी आदेश तक रोप-वे को भी बंद कर दिया गया है. बता दें कि डोंगरगढ़ मेले में नवरात्रि के नौ दिनों में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है।