April 13, 2025

कोरोना वायरस : दूर-दूर नहीं रहे तो होगी कानूनी कार्रवाई, केंद्र ने राज्यों को दिया फ्री हैंड

corona111
FacebookTwitterWhatsappInstagram
रायपुर/नई दिल्ली। पिछले 5 दिनों से भारत में कोरोना वायरस  के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। देश में वायरस के तीसरे फेज यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन की आशंका भी गहरा गई है। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए सरकार ने इसे रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सोशल डिस्टेंसिंग यानी एक दूसरे से दूर-दूर रहने के नियम का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के अनुसार, सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश है कि सोशल डिस्टेंसिंग लागू कराने लिए उन्हें किसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी पड़े तो इसमें भी संकोच नहीं करें।

एपिडेमिक डिजीज कंट्रोल एक्ट के तहत राज्यों को पहले से ही कार्रवाई करने का पूरा अधिकार दिया गया है। इसके अलावा यदि जरूरत पड़े तो वे सीआरपीसी, आईपीसी या किसी भी अन्य कानून की धारा के तहत भी कार्रवाई कर सकते हैं।

बकौल लव अग्रवाल, पिछले 4-5 दिन से कोरोना ग्रसित मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या चिंता की बात है और कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज तक पहुंचने से रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को कड़ाई से लागू करना ही एक मात्र विकल्प है।

सोशल डिस्टेंसिंग लागू करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही सार्वजनिक परिवहन के साधनों को कम करने और उनमें यात्रियों के बीच एक मीटर की दूरी सुनिश्चित करने को कह चुका है। यही नहीं, राज्यों को रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर भीड़ नियंत्रित करने के विशेष प्रबंध करने को भी कहा गया है। यदि ऐसा संभव नहीं हो तो उन्हें पूरी तरह बंद कर दिया जाए।

लव अग्रवाल ने कहा कि सभी राज्य एक साथ मिलकर पूरे देश में सोशल डिस्टेंसिंग  को कड़ाई से लागू नहीं करेंगे तो हालात को संभालना मुश्किल हो जाएगा।

क्यों खतरनाक है कम्युनिटी ट्रांसमिशन ?

अभी तक देश में जितने संक्रमित मिले हैं, वे या तो विदेश से आए हैं या ऐसे ही किसी संक्रमित के सीधे संपर्क में आए हैं। यह संक्रमण का लोकल ट्रांसमिशन स्टेज कहलाता है। इसमें संक्रमण का स्त्रोत ज्ञात रहता है। कम्युनिटी ट्रांसमिशन का अर्थ होगा कि कोई किसी अज्ञात के संपर्क में आकर संक्रमित हो गया। ऐसा होने पर संक्रमित लोगों की पहचान मुश्किल होती है और संक्रमण का दायरा बहुत तेजी से बढ़ता है।

क्या है सोशल डिस्टेंसिंग ?

सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थ है लोगों से दूरी बनाकर रहना। यह इसी अवधारणा पर केंद्रित है कि लोग एक-दूसरे के संपर्क में आने से बचें। ऐसा होने से संभावित संक्रमण से बचना और बचाना संभव होगा। बेहद आपात स्थिति नहीं हो तो घर से बाहर नहीं निकलना और बाहर आने की सूरत में सामने वाले से तीन से छह फीट तक की दूरी रखना सोशल डिस्टेंसिंग का तरीका है।
FacebookTwitterWhatsappInstagram

मुख्य खबरे

error: Content is protected !!
Exit mobile version