कोरोना से जंग : इस तरह अपनी भूमिका निभा रहीं बस्तर की यह चार महिलाएं
बीजापुर। छत्तीसगढ़ बस्तर संभाग में अबूझमाड़ के नक्सलगढ़ में 43 गांव ऐसे हैं जहां न सड़क- बिजली, पानी है न ही स्कूल और अस्पताल। इंद्रावती नदी पार करके इन इलाके में पहुंचा जा सकता है। घने जंगल, ऊंचे पहाड़, वन्य प्राणियों और नक्सलियों का खतरा। ऐसी जगह पर चार महिला स्वास्थ्य कर्मी (एएनएम) कोरोना की रियल फाइटर बनकर सामने आई हैं।
कई किलोमीटर पैदल चलकर अबूझमाड़ के दुर्गम इलाके में थर्मल स्क्रीनिंग किट और मॉस्क लेकर गांव-गांव पहुंच रही हैं। स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी रानी मंडावी, सुनीता मरावी, सुमित्रा सोढ़ी, रत्नी ककेम की तैनाती भैरमगढ़ इलाके में इंद्रावती नदी के पार अबूझमाड़ के सरहदी गांवों के चार उप स्वास्थ्य केंद्रों में है। नदी पार यह समूचा इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है।
नक्सल खौफ और भौगोलिक दुरुहता को दरकिनार कर महिला स्वास्थ्यकर्मी कोरोना को मात देने में जुटी हैं। बीएमओ अभय तोमर के अनुसार माड़ इलाके के कई ग्रामीण मजदूरी करने तेलंगाना गए थे। इनके गांव वापसी की खबरें लगातार स्वास्थ्य विभाग को मिल रही हैं।
गांव चिन्हित कर महिला स्वास्थ्य कर्मी ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही हैं। इलाके को प्राथमिकता में रखकर थर्मल स्क्रीनिंग किट और जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं। अब तक कोरोना का कोई भी संदिग्ध मरीज इस इलाके में नहीं मिला है।
इंद्रावती के पार ताकीलोड, सतवा, बेलनार, बड़ेपल्ली, छोटे पल्ली, झिल्ली, बैल समेत 43 गांव हैं, जो सरकार की पहुंच से दूर हैं। इंद्रावती पर पुल नहीं है। नदी में इन दिनों पानी कम है लेकिन मगरमच्छों की मौजूदगी बड़ा खौफ है। फिर भी महिला स्वास्थ्य कर्मी नदी पार कर गांवों में पहुंच रही हैं।