सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सल संगठन से तंग आकर मड़कम लक्खा ने आत्मसमर्पण किया था, उसके बाद वो पुलिस के लिए काम कर रहा है। जब उसे पता चला कि बाजार में मास्क की कमी है तो वो पुलिस लाइन में मास्क बनाने लगा और जवानों को बांटना शुरू किया।  लक्खा की इस पहल की हर कोई तारीफ कर रहा है।  वर्ष 1998 में लक्खा नक्सल संगठन में बाल संगम के रूप में शामिल हुआ।  कई साल तक नक्सलियों के लिए काम किया, लेकिन बाद में संगठन से परेशान होकर पुलिस के समक्ष सरेंडर किया।

कोरोना वायरस की इस जंग में पुलिस सबसे सामने आकर लड़ रही है।  हर कोई इस जंग में अपना अपना योगदान दे रहा है, लेकिन जिले में मास्क की कमी के बारे में लक्खा को पता चला तो वो पुलिस लाइन में मास्क बनाने बैठ गया।  वो कुछ दिनों से मास्क बना रहा है और उसका उपयोग पुलिसकर्मी और सुरक्षा बल के जवान कर रहे है।

सरेंडर नक्सली मड़कम लक्खा ने बताया कि वो नक्सली संगठन में नक्सलियों के लिए वर्दी सिलने का काम करता था, लेकिन आज समाज सेवा करने का सौभाग्य मिला है।  कोरोना की इस लड़ाई में मैं अपना योगदान दे रहा हूं मुझे काफी खुशी मिल रही है।  एसपी शलभ सिन्हा के मुताबिक़ – मड़कम लक्खा मानवता की मिसाल कायम कर रहा है।  बीमारी से बचने के लिए जवानों को नि:शुल्क मास्क उपलब्ध करा रहा है।  हर कोई इस बीमारी से लड़ने में समाज का सहयोग करे।  अपने अपने घरों में सुरक्षित रहिये और शासन के निर्देशों का पालन करिए।

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