छत्तीसगढ़ : कोरबा में मिला लीवर को मजबूती देने वाला 5 करोड़ साल पुराना पौधा
कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के केसला के जंगलों में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा प्लांट खोज निकाला है। जो मानव शरीर चलाने वाले लीवर को मजबूती प्रदान करने और पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियों को दूर करने वाले औषधीय गुणों से भरपूर हैं। लगभग 5 करोड़ साल पुरानी प्रजाति के इस पौधे लाइकोपोडियम सरना को रायपुर से आये छह वैज्ञानिकों की टीम ने ढूंढा है।
छह वैज्ञानिकों के मुताबिक इस पौधे का मिलना अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं। गौरतलब है कि इस पौधे के मध्य प्रदेश के पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व और हिमालय में स्थिति में होने के अब तक प्रमाण मिले हैं। कोरबा में इस पौधे का पाया जाना बायोडायवर्सिटी के लिए बेहतर संकेत हैं।
दरअसल छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की कोरबा इकाई के तत्वावधान में वैज्ञानिकों की एक टीम ने कुछ दिनों पूर्व ही बायोडायवर्सिटी सर्वे किया। जैव विविधताओं की खोज अनुसंधान एवं अध्ययन पर फोकस इस सर्वे के लिए जिला मुख्यालय से बमुश्किल 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित केसला के जंगलों को चुना गया।
यहां इस टीम ने बालको से लगे केसला घाट से ट्रैकिंग शुरू करते हुए गोलमा गांव तक नाले के किनारे होते जंगल की खोज अभियान चलाया। पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय में जैविक विविधता विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर जनरल रहे वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने बताया कि कोरबा में पाया गया लाइकोपोडियम सरना धरती पर 5 करोड़ साल पहले उत्पन्न् हुआ था और तब से लेकर आज तक उसने अपने जीवन का अस्तित्व कायम रखने में सफलता पाई है।
टेक्सोनोमी डॉक्टर अनिल नायक ने जनरपट को बताया की इसका इस्तेमाल सदियों से उधर और रोगों संबंधी बीमारियों के लिए किया जाता रहा है। आयुर्वेद में इसका खास महत्व पाया गया है ब्लूटूथ प्राय पौधे लाइकोपोडियम एक तरह से बना सकती है इस पौधे की पत्तियों से पेट संबंधी बीमारियों में दवाएं तैयार की जाती है। जंगल में निवास करने वाली जनजाति भी पेट की बीमारियों को दूर करने इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। इस वन औषधि का होम्योपैथी में काफी इस्तेसमाल है। इस प्लांट के मिलने के बाद अब वैज्ञानिको ने इसकी उपलब्धता पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत बताया हैं।