छत्तीसगढ़ के सुगंधित चावल ‘नगरी दुबराज’ से महकेंगी देश-विदेश की थालियां
रायपुर । छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के धान की किस्म ‘नगरी दुबराज’ को देश भर में पहचान मिलेगी। इस सुगंधित चावल से देश-विदेश की थालियां महकेंगी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने नगरी दुबराज को बौद्धिक संपदा अधिकार के अंतर्गत भौगोलिक सूचक (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) के रूप में देश भर में पहचान दिलाने की पहल शुरू कर दी है। इस किस्म को जीआइ पंजीयन के लिए भेज दिया गया है। पंजीयन हो गया तो जीरा फूल के बाद जीआइ टैग वाली यह दूसरी किस्म होगी।
आइजीकेवी के अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर दीपक शर्मा के मुताबिक़ धान की दो नई किस्मों के जीआइ पंजीयन के लिए दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। धान का कटोरा छत्तीसगढ़ में धान की कई किस्में हैं, जिन पर रिसर्च किया जा रहा है। ये किस्में आने वाले दिनों में देश भर में प्रदेश का नाम रोशन करेंगी।
विवि के अनुसार धान का कटोरा छत्तीसगढ़ में लगभग 24000 हजार धान की दुर्लभ प्रजातियां हैं। कई समूहों के किसानों के माध्यम से इनकी फसल तैयार कराई जा रही है। नगरी दुबराज धमतरी जिले में धान की लोकप्रिय प्रजाति है। इसी तरह दंतेवाड़ा जिले की लोक्ति माझी एवं कांकेर जिले की चिरई नखी प्रजाति के धान के जीआइ पंजीयन के लिए दस्तावेज तैयार किये जा रहे हैं।
नगरी दुबराज सुगंधित होता है। यह धान 135 से 140 दिन में पक कर तैयार हो जाता है। इसके चावल का इस्तेमाल खासकर खीर बनाने में किया जाता है। इस चावल की विदेशों तक मांग है।