November 23, 2024

छत्‍तीसगढ़ में बारिश और ओलों से फसल,सब्जियां बर्बाद

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पश्चिमी विक्षोभ के असर से सूबे में बारिश के साथ ओले पड़ रहे हैं। नतीजतन फसलें बर्बाद हो गई है। किसानों के मुताबिक फसल जमीन पर टूटकर गिर गई है। प्रदेश के अंबिकापुर, कांकेर, बेमेतरा, दुर्ग, कवर्धा, रायपुर आदि इलाकों में बेमौसम बारिश ने रबी और जायद (गर्मी वाली) फसलों को तबाह कर दिया है।

लगातार तीन-चार दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश से अरहर, अलसी, चना, मटर, सरसों के साथ गेहूं की फसल भी बर्बाद हो रही है। चना, मक्का और अरहर की फसल तो पूरी तरह तबाह होने की स्थिति में है। साग-सब्जियों की खेती पर भी भारी प्रभाव बेमौसम बारिश ने डाला है। नवीन तकनीक से शहर के आसपास खरबूज, तरबूज, करेला, खीरा की खेती करने वाले किसान तेज हवा के साथ मूसलार बारिश के कारण बड़ी राशि गंवा बैठे हैं। पानी भरने से पौेधे गलने लगे हैं और खरपतवार उग रहे हैं।

अंबिकापुर क्षेत्र में बीते 24 घंटों में करीब 39 मिली मीटर (मिमी) बारिश हुई है। मार्च में हुई इस बारिश ने 22 वर्षों का रिकार्ड तोड़ा है। अंबिकापुर में अभी तक 87 मिमी बारिश हो चुकी है।

इंदिरा गांधी कृषि विवि के मौसम विज्ञानी डॉ जीके दास के मुताबिक़ प्रदेश में मक्का और सब्जियों पर ओले का सर्वाकि प्रभाव पड़ा है। जहां बड़े ओले पड़े हैं वहां गेहूं भी प्रभावित हो सकता है।

इससे पहले 1998 में यहां 100 मिमी तक बारिश हुई थी। रायपुर में शनिवार की सुबह साढ़े आठ बजे तक 25 मिमी बारिश हुई। वाड्रफनगर, सोनहट में पांच सेंटी मीटर, अंबिकापुर में कुल चार सेमी, कुसुमी, बलरामपुर, कवर्धा, आरंग, प्रतापपुर, आरंग और रायपुर में तीन सेमी बारिश हुई है। उत्तर छत्तीसगढ़ में रविवार को भी बारिश होने की संभावना जताई गई है।

वही किसान नेता राधाकिशन गुप्ता के अनुसार कवर्धा, बलौदाबाजार, कांकेर, रायपुर और दुर्ग इलाके में किसानों की फसल बर्बाद हो गई है। चना और मक्के की फसल को सबसे अकि नुकसान हुआ है।

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