धमतरी। धमतरी चारो ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है जहां पर वन्य प्राणियों की भी कमी नही है। शायद यही वजह है कि प्रकृति की गोद मे बसे इस जिले के कुछ खास स्थानों पर बाहर देश और विलुप्त प्रजाति के वन्य जीव भी अपना घर बनाने पहुच रहे है.वन्य जीवों के इस कड़ी में अब कुछ नाम और जुड़ गए है इनमें बतख प्रजाति के कामन मर्गसर सहित इंडियन स्किमर,ब्राउन क्रेक,बिलियन क्रेक शामिल है यह जिले के कुछ खास इलाको में पाए गए विलुप्त प्रजाति के पक्षियों में से एक है।
वाईल्ड लाईफ से जुड़े गोपीकृष्ण साहू और अमर मुलवानी का कहना है कि भारत के अधिकांश जगहों पर मर्गसर पाई जाती है लेकिन मध्यभारत के इतिहास में 1935 के बाद पहली बार जिले में दिखाई दी है।
ये जलीय पक्षी यूरोप,अमेरिका,उत्तरी और मध्य एशिया के वन क्षेत्रों या झीलों में ज्यादातर पाई जाती है लेकिन जिले में इनका मिलना एक बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है करीब 58-72 सेन्टीमीटर वाले मर्गसर के सिर में पंख होते है और ये भूरे और चमकीले होते हैं।
इसे एक आंशिक प्रवासी पक्षी भी कहा जाता है ये पक्षी उन क्षेत्रों से दूर जाते है जहां सर्दियों में नदियां और प्रमुख झीलें जम जाती है और गर्मियों में जून से सितंबर तक अन्य जगहों पर प्रवास करते है। इसके लावा इंडियन स्किमर यानि जलीय पक्षी जिसे कैंची बिल प्रजातियो में एक माना जाता है वह भी यहां दिखाई दिया है।
लाल चोंच,सफेद गर्दन और काले पंख वाले यह पक्षी विलुप्त प्रजाति में शुमार है। वही ब्राउन क्रेक,बिलियन क्रेक नाम की पक्षी प्रवासी पक्षियां भी हाल में यहां पाए गए हैं। इसकी पुष्टि भी वाइल्ड लाइफ टीम से जुड़े सदस्यों ने की है।
गोपीकृष्ण साहू और अमर मुलवानी ने बताया कि इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि जिले में सात समंदर पार से पक्षी नही आ रहे है। क्योंकि उन्होने खुद 2015 से लेकर अब तक पैसेफिक गोल्डन फ्लॉवर,व्हिम ब्रेल,डनलीन,रिवर लैपविंग,टैमनिक स्टीट,लेसर सेंट फ्लॉवर,वाटर कॉक समेत करीब 250 से ज्यादा प्रवासी पक्षियों की तस्वीर अपने कैमरे में कैद की है।
हालांकि क्षेत्र में विलुप्त प्रजाति के पक्षी दिखाई दे रहे हैं। इनके जीवन पर खतरा मंडराता भी दिखाई दे रहा है। क्योंकि जंगलों मे कटाई शिकार और अन्य तरह की गतिविधियां बढ़ती जा रही है जो इनके जीवन पर असर करने के साथ इनकी जान को भी मुश्किल में डाल सकती है।